केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग, संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Update: 2021-10-04 13:39 GMT

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उनसे केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है। दरअसल, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान रविवार को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने पत्र में कहा है कि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को उनके पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ हिंसा भड़काने तथा सांप्रदायिक नफरत फैलाने का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा ''मोनू'' और उसके साथी गुंडों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

किसान मोर्चा ने आगे कहा कि लखीमपुर खीरी में रविवार को दिनदहाड़े किसानों को गाड़ियों से कुचलकर कथित रूप से नृशंस हत्या किए जाने की घटना से पूरा देश आक्रोशित है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे और उसके गुंडों ने इस जानलेवा हमले को बेशर्मी से अंजाम दिया जो उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की गहरी साजिश को दर्शाता है। मोर्चा ने आगे कहा कि अजय मिश्रा ने पहले ही किसानों के खिलाफ भड़काऊ और अपमानजनक भाषण देकर इस हमले का एक संदर्भ बना लिया था। एसकेएम ने आरोप लगाया, "यह कोई संयोग नहीं है कि उसी दिन, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सार्वजनिक रूप से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लाठी उठाने और किसानों के खिलाफ हिंसा में शामिल होने के लिए उकसा रहे हैं।

इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि संवैधानिक पदों पर बैठे ये व्यक्ति शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे "अन्नदाता" के खिलाफ नियोजित हिंसा के लिए अपने पदों का उपयोग कर रहे हैं। यह देश के कानूनों के अनुसार, संविधान और देश के खिलाफ अपराध है। किसान संगठनों के प्रमुख मंच ने इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) से घटना की जांच कराने की मांग की। उसने किसानों के खिलाफ की गई हरियाण के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर की कथित टिप्पणी के मामले में उन्हें पद से हटाने की भी मांग की।

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