राज्यसभा में मणिपुर के साथ-साथ हरियाणा में हुई हिंसा पर भी चर्चा की मांग, VIDEO
नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष मणिपुर हिंसा पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग पर अड़ा है। गुरुवार को राज्यसभा में मणिपुर के साथ हरियाणा में हुई हालिया हिंसा पर भी चर्चा कराने की मांग की गई। नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी के संबंध में टिप्पणी की। इसके बाद सदन में पक्ष व विपक्ष के बीच गतिरोध बढ़ गया व राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री के आने से क्या होने वाला है, क्या वह परमात्मा हैं। वह कोई भगवान नहीं हैं। खड़गे इस बयान पर सत्ता पक्ष ने कड़ा एतराज जताया। गतिरोध के बीच राज्यसभा सभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दरअसल, विपक्ष मणिपुर हिंसा पर नियम- 267 के तहत चर्चा की मांग कर रहा था। बहस के दौरान प्रधानमंत्री की मौजूदगी व मणिपुर पर उनके बयान की मांग करते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह टिप्पणी की।
इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। राज्यसभा को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। खड़गे ने आसन से नियम- 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा की अनुमति देने का आग्रह और पीएम मोदी की उपस्थिति की मांग की थी। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री के आने से क्या होने वाला है, क्या परमात्मा हैं वो। वह कोई भगवान नहीं हैं। इस बयान पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
इससे पहले सभापति ने कहा कि उन्हें गुरुवार को भी विपक्ष द्वारा नियम- 267 के तहत मणिपुर की स्थिति पर चर्चा के लिए नोटिस प्राप्त हुए हैं। हालांकि सभापति ने मांग को खारिज कर दी। सभापति ने सदन को सुचारू रूप से चलाने की अपील करते हुए कहा कि दोनों पक्षों ने कड़ा रुख अपनाए रखा है। उन्होंने दोनों पक्ष के नेताओं खड़गे और सदन के नेता पीयूष गोयल से विचार मांगें।
गौरतलब है कि नियम- 267 के तहत मणिपुर पर चर्चा और पीएम मोदी की मौजूदगी की विपक्ष की मांग को लेकर सदन में गतिरोध है। सरकार जहां नियम- 176 के तहत विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है। तो, विपक्ष नियम- 267 से चर्चा की मांग कर रहा है। हालांकि, राज्यसभा में गुरुवार को विपक्ष की ओर से मणिपुर मुद्दे पर नियम- 167 के तहत चर्चा और प्रधानमंत्री के सदन में जवाब देने की मांग की गई।
फिलहाल इस पर भी दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन सकी है। नेता सदन पीयूष गोयल ने कहा कि विपक्ष प्रधानमंत्री के जवाब की मांग कर रहा है। जबकि, हमारी ओर से ऐसी कोई सहमति नहीं दी गई। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मध्यम मार्ग अपनाते हुए हमारी ओर से प्रस्ताव रखा गया कि नियम- 167 के तहत चर्चा की जाए। ऐसे में प्रधानमंत्री के सदन में आकर जवाब देने में क्या आपत्ति है।