चर्चा में दिल्ली पुलिस! बुजुर्ग की ऐसे बचाई जान

Update: 2022-07-23 03:27 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

नई दिल्ली: वर्ष 2005 में सरोजिनी नगर मार्केट में हुए बम धमाके में अपने इकलौते बेटे-बहू और पोते को खोने वाली मां के लिए दिल्ली पुलिस एक मददगार के तौर पर आगे आई। 80 वर्षीय बुजुर्ग सलीना चलने-फिरने से मोहताज है। पति की हालत भी बहुत खराब है। बुजुर्ग महिला की शुक्रवार को अचानक हालत खराब हो गई। एक परिचित ने पीसीआर कॉल कर पुलिस को बुलाया। पुलिस ने तत्काल एंबुलेंस से गुरुतेग बहादुर अस्पताल पहुंचाया।

उपचार के दौरान डॉक्टर ने पाया कि महिला पर्याप्त भोजन ना मिल पाने के कारण बेहद कमजोर हो गई। इसी वजह से वह चल-फिर नहीं पाती। बुजुर्ग की कमर में गहरे जख्म हैं। डाक्टरों के अनुसार, लंबे समय से एक ही कमरे व बिस्तर पर होने के कारण मानसिक रोग की शिकार भी हो गई हैं। वह अपनी शारीरिक पीड़ा बताने की स्थिति में भी नहीं हैं।
बहरहाल बुजुर्ग का उपचार जीटीबी के आपाकालीन विभाग में हो रहा है। लेकिन, डॉक्टर ने पुलिस को सलाह दी है कि वह यहां उपचार के बाद उन्हें मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) में दिखाने को कहा। वहीं, बुजुर्ग महिला के 82 वर्षीय पति भी कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं। नियमित तौर पर पेशाब की नली लगी है। वह दोनों घुटनों में दिक्कत की वजह से सही तरीके से चल फिर भी नहीं पाते।
सरोजिनी नगर मार्केट में 29 अक्तूबर 2005 को कई बम धमाके हुए थे। धमाके के समय बुजुर्ग दंपति का इकलौता बेटा-बहू व पोता वहां थे। पोते की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि बहू बुरी तरह जल गई थी। दो महीने सफदरजंग में उपचार के बाद बहू की भी मौत हो गई थी, जबकि बेटे का शव ही नहीं मिला था। वर्षों कानूनी लड़ाई के बाद उच्च न्यायालय ने दंपति के बेटे को मृत घोषित करने के आदेश दिए थे।

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