दिल्ली: फोर्टिस अस्पताल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी की हुई शुरुआत

कोविड-19 के कुछ मरीजों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी के लिए दिल्ली के एक प्रमुख प्राइवेट अस्पताल को क्लीनिकल खुराकें मिल गई हैं,

Update: 2021-05-27 14:26 GMT

कोविड-19 के कुछ मरीजों के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी के लिए दिल्ली के एक प्रमुख प्राइवेट अस्पताल को क्लीनिकल खुराकें मिल गई हैं, जिससे उनके अस्पताल में भर्ती होने की संभावना 70 फीसदी कम हो जाती है. अस्पताल के अधिकारियों ने गुरुवार को ये जानकारी दी. इस पद्धति में मामूली से मध्यम स्तर के लक्षणों वाले मरीजों को एक खुराक में कासिरिविमैब और इमडेविमैब मिलाकर दी जाती है.

दक्षिण दिल्ली स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष अशोक सेठ ने कहा कि खुराक मिलने के बाद हमने गुरुवार से इलाज शुरू कर दिया है. सेठ ने कहा कि फोर्टिस को अभी दो खुराक मिली हैं, जिनका इस्तेमाल चार मरीजों के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक खुराक दो मरीजों को दी जा सकती है. हालांकि चूंकि एक पैक में दो वायल होते हैं और दो मरीजों का इलाज किया जा सकता है, इसलिए डोज खुलने के बाद और इसे रोगी को देने के बाद बाकी दवा को 24 घंटे के अंदर दूसरे मरीज को देना होता है.
कोविड-19 से ग्रस्त 84 साल के मोहब्बत सिंह को मंगलवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी दी गई थी और उसी दिन उन्हें घर भेज दिया गया. अस्पताल के अधिकारियों ने बुधवार को ये जानकारी दी और कहा कि मोहब्बत सिंह मेदांता में इस थैरेपी का लाभ प्राप्त करने वाले पहले मरीज थे. अस्पताल के एक अधिकारी ने दावा किया था कि ये कोविड-19 मरीज के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी का दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का पहला मामला है.
सेठ ने कहा कि सिप्ला और स्विट्जरलैंड की रोशे ने एंटीबॉडी की ये दवा बाजार में उतारी है. उन्होंने कहा कि कंपनी के एक पैक में कासिरीविमैब और इमडेविमैब की 1332-1332 मिलीग्राम मात्रा होती है. एक पैक में दो वायल होते हैं और इसलिए दो मरीजों का इलाज किया जा सकता है. एक मरीज के लिए प्रत्येक वायल की लागत करीब 59,750 रुपए आती है.
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