दिल्ली हाईकोर्ट: ऑक्सीजन संकट पर दो अस्पतालों की याचिका पर केंद्र और सरकार को नोटिस
ऑक्सीजन की कमी को लेकर ब्रम हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड और बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: ऑक्सीजन की कमी को लेकर ब्रम हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड और बत्रा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे। ब्रम हेल्थकेयर ने अदालत से अनुरोध किया है कि 125 से 150 ऑक्सीजन सिलिंडर की आपूर्ति करने का निर्देश दिया जाए। दोनों अस्पतालों की याचिका पर अदालत ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली के अस्पतालों और नर्सिंग होम से कहा कि मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत के लिए पहले नोडल अधिकारी के मिलें।
दिल्ली सरकार के अधिवक्ता राहुल मेहरा ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि चीजें सही दिशा में जा रही हैं और मुख्यधारा में आने में समय लगेगा। हमें इसके लिए केंद्र और रेलवे को समय देना होगा। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को प्रधानमंत्री मोदी की कई मुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि ऑक्सीजन के मुक्त आवागमन में कोई बाधा न डालें और सभी राज्य इस पर सहमत हुए हैं। मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र ने एक कंट्रोल रूम स्थापित किया है, जिससे राज्यों को नोडल अधिकारियों से संपर्क किया जाता है और केंद्र ने कंट्रोल रूम में कुछ और अधिकारियों को तैनात करने का फैसला किया है। मेहता ने सलाह दी कि याचिकाकर्ता को पहले दिल्ली नोडल अधिकारी के पास जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को सलाह दी कि नोडल अधिकारियों के कम से कम तीन-चार नंबर और जारी किए जा सकते हैं। अदालत ने कहा कि क्योंकि बड़ी संख्या में लोग नोडल अधिकारी को फोन कर रहे हैं और केवल एक ही नंबर होने से समस्या हो रही है। बत्रा हॉस्पिटल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ देव ने अदालत को बताया कि अस्पताल के आईसीयू में 160 मरीज हैं और बाकी मरीज वार्ड में हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल के पास कोविड समर्पित सुविधाए हैं और उसे कम से कम सात से आठ हजार लिटर ऑक्सीजन की जरूरत है।
अदालत ने दिल्ली के नोडल अधिकारी को निर्देश दिया कि वह इन दो अस्पतालों के लिए जरूरी निर्देश जारी करें। अदालत ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव से कहा कि पूरे आवंटन योजना का निरीक्षण करें, सुझाव दें और केंद्र सरकार व समिति के समक्ष इसे बिना किसी देरी के प्रस्तुत करें।