गुजरात नगर निगम चुनाव में करारी शिकस्त, कांग्रेस ने लगाया EVM में गड़बड़ी का आरोप, कही ये बात

Update: 2021-02-24 10:49 GMT

फाइल फोटो 

अहमदाबाद:- गुजरात नगर निगम चुनाव में बीजेपी ने जबरदस्त जीत हासिल की है। कांग्रेस को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी है। इस बीच कांग्रेस की हार के साथ एक बार फिर ईवीएम का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। नतीजों के बाद कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोषी ने ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप लगाया। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कांग्रेस की हार के बाद ही क्यों ईवीएम कठघरे में आ जाती है।

पंजाब और हरियाणा में भी हाल ही में नगर निकाय के चुनाव हुए हैं। इन दोनों राज्यों में बीजेपी की हार हुई लेकिन ईवीएम को लेकर सवाल नहीं खड़े हुए। गुजरात नगर निगम चुनाव के नतीजे मंगलवार को आए। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा कि राजकोट में दोपहर साढ़े तीन बजे तक 26 फीसदी वोटिंग हुई थी लेकिन ढाई घंटे के अंदर 21 प्रतिशत वोटिंग बढ़ गई। कांग्रेस का आरोप है कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया। अगर इतनी वोटिंग होती तो लंबी कतारें लग जातीं लेकिन ऐसा नजर नहीं आया।
अब सवाल है कि अगर ईवीएम में गड़बड़ी है तो कांग्रेस अपनी जीत के बाद क्यों नहीं सवाल खड़े करती है। ज्यादा दिन नहीं बीते हैं, जब पंजाब निकाय चुनाव के नतीजे आए थे। यहां नगर निगम, नगरपालिका और नगर परिषदों में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल की थी। गौर करने वाली बात यह है कि यहां भी ईवीएम से ही चुनाव हुए थे। सात में से छह निकायों- अबोहर, बठिंडा, बटाला, पठानकोट, होशियारपुर और कपूरथला में पार्टी ने कब्जा जमाया। तीन शहरों (बठिंडा, अबोहर और कपूरथला) में तो बीजेपी का खाता भी नहीं खुला। लेकिन तब कांग्रेस को ईवीएम में कोई खामी नहीं दिखी। इसी तरह किसान आंदोलन के बीच हुए हरियाणा निकाय चुनाव में भी बीजेपी और उसकी सहयोगी दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी को करारी शिकस्त मिली थी। तब ईवीएम पर सवाल नहीं उठाए गए।
वैसे ये कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस की हार के बाद ईवीएम से छेड़छाड़ के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद कांग्रेस नेताओं ने ईवीएम को कठघरे में खड़ा किया था। इसके ठीक बाद जब कर्नाटक में बैलट पेपर से निकाय चुनाव हुए तो जीत मिलने पर भी कांग्रेस ने ईवीएम का मुद्दा छेड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अपने ट्वीट में कहा था, 'फिर से सवाल! कर्नाटक में बैलट पेपर से चुनाव हुए और वहां कांग्रेस की शानदार जीत हुई।' कर्नाटक में 56 शहरी स्थानीय निकायों में कुल 1,221 वार्डों में से कांग्रेस ने 509 वार्डों में जीत हासिल की थी, जबकि बीजेपी को सिर्फ 366 स्थानों पर जीत मिली थी।


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