मॉनसून के साथ आसमान से बरसने लगी मौतें, 3 दिनों में वज्रपात से 20 की गई जान

आसमान से मौत की बिजलियां गिरने का सिलसिला शुरू हो गया।

Update: 2023-06-21 12:07 GMT

DEMO PIC 

रांची: मॉनसून 19 जून को झारखंड में दाखिल हुआ और इसके साथ ही आसमान से मौत की बिजलियां गिरने का सिलसिला शुरू हो गया। पिछले तीन दिनों में वज्रपात की डेढ़ दर्जन से ज्यादा घटनाओं में 20 लोगों की जान चली गई है, जबकि घायलों की तादाद 50 से ज्यादा है। दरअसल, बारिश के साथ ही आसमानी बिजलियों के कहर का यह सिलसिला झारखंड के लिए बड़ी आपदा बन गया है। भारतीय मौसम विभाग ने थंडरिंग और लाइटनिंग के खतरों को लेकर देश के जिन छह राज्यों को सबसे संवेदनशील के तौर पर चिन्हित किया है, झारखंड भी उनमें एक है। आसमानी बिजली का कहर झारखंड के लिए एक बड़ी आपदा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते वर्ष यानी 2021-22 में झारखंड में वज्रपात की 4 लाख 39 हजार 828 घटनाएं हुई हैं। इसके पहले 2020-21 में राज्य में लगभग साढ़े चार लाख बार वज्रपात हुआ था। 2020-21 में वज्रपात से 322 मौतें दर्ज की गईं।
क्लाइमेट रेजिलिएंट ऑब्जविर्ंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन मौतों में से 96 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों से थीं और पीड़ितों में से 77 प्रतिशत किसान थे। किसान पहाड़ी-पठारी क्षेत्रों में ऊंचे पेड़ों से घिरे खुले खेतों में काम करते हैं और उन तक वज्रपात के खतरे से अलर्ट करने की सूचनाएं पहुंच नहीं पातीं। हालांकि, मौसम विभाग इसे लेकर नियमित तौर पर अलर्ट जारी करता है, लेकिन जागरूकता की कमी बड़ी बाधा है।
वज्रपात को झारखंड सरकार ने विशिष्ट आपदा (स्पेसिफिक डिजास्टर) घोषित कर रखा है। राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने 2019 में एसएमएस सिस्टम के जरिए लोगों को सचेत करने की व्यवस्था की थी, लेकिन यह सिस्टम बहुत कारगर नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश में सबसे अधिक बिजली मध्य प्रदेश में गिरती है। बीते वर्ष वहां साढ़े छह लाख से अधिक बार बिजली गिरी थी, जबकि छत्तीसगढ़ में करीब 5.7 लाख, महाराष्ट्र में 5.4 लाख, ओडिशा में 5.3 लाख तथा पश्चिम बंगाल में 5.1 लाख से अधिक बार वज्रपात की घटनाएं रिकॉर्ड की गयीं।
यह पाया गया है कि वज्रपात की सबसे ज्यादा घटनाएं मई-जून में होती हैं। पिछले 11 वर्षों में यहां वज्रपात की घटनाओं में 2000 से भी ज्यादा मौतें हुई हैं। वर्ष 2011 से लेकर अब तक किसी भी वर्ष वज्रपात से होने वाली मौतों की संख्या 150 से कम नहीं रही। 2017 में तो वज्रपात से मौतों का आंकड़ा 300 दर्ज किया गया था। इसी तरह 2016 में 270 और 2018 में 277 मौतें हुई थीं।
Tags:    

Similar News

-->