महंत नरेंद्र गिरि की मौत: पंच परमेश्वर की बैठक के बाद पोस्टमार्टम, मामले की जांच के लिए 18 सदस्यीय SIT गठित
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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कथित आत्महत्या के बाद उनके पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम आज पांच सदस्यीय एक टीम करेगी. आज सुबह 8 बजे महंत गिरी के शव का पोस्टमॉर्टम होगा. पांच डॉक्टर्स का पैनल पोस्टमॉर्टम करेगा. पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी होगी. पोस्टमॉर्टम पूरा होने के बाद समाधि की प्रक्रिया सम्पन्न की जाएगी.
वहीं महंत गिरि की मृत्यु मामले की जांच के लिए मंगलवार को 18 सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और हरिद्वार में संत के एक शिष्य को हिरासत में ले लिया. इस बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महंत की मृत्यु से जुड़े सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी कहा कि उनकी सरकार मामले की हर तरह की जांच के लिए तैयार है. समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से मामले की न्यायिक जांच की मांग की. सीबीआई जांच के अनुरोध वाली एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी गई है.
सुसाइड नोट में तीन लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया
महंत नरेंद्र गिरि सोमवार को अपने मठ के एक कमरे में मृत पाए गए थे. पुलिस के मुताबिक, गिरि ने कथित तौर पर पंखे से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. एक कथित सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें महंत ने लिखा है कि वह मानसिक रूप से परेशान हैं और अपने एक शिष्य से व्यथित हैं. महंत गिरि ने अपने कथित सुसाइड नोट में अपने शिष्य आनंद गिरि, बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
महंत गिरि के कथित सुसाइड नोट में यह भी लिखा है कि 13 सितंबर, 2021 को ही उन्होंने आत्महत्या करने का मन बनाया था, लेकिन वह हिम्मत नहीं कर पाए थे. उन्होंने लिखा है, "आज जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर उसे वायरल कर देगा, तो मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा. एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा. मैं जिस पद पर हूं वह गरिमामयी पद है."
कथित सुसाइड नोट में महंत ने लिखा है, "सच्चाई तो बाद में पता चलेगी, लेकिन मैं बदनाम हो जाऊंगा. इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं. आनंद गिरि का कहना है कि महाराज यानी मैं, कहां तक सफाई देते रहोगे. मैं जिस सम्मान से जी रहा हूं, अगर मेरी बदनामी हो गई तो इस समाज में मैं कैसे रहूंगा। इससे अच्छा मर जाना ठीक है."