चार बच्चों की मौत, ऐसे काल के गाल में समा गए
तीन बच्चे एक ही परिवार के थे।
भागलपुर: बिहार के भागलपुर में चार बच्चे नदी में डूबकर मौत के मुंह में समा गए। घटना जगदीशपुर के पुरैनी स्थित चांदन नदी में हुई। इसमें तीन बच्चे एक ही परिवार के थे। घटना बुधवार दिन के करीब एक बजे की है। सभी बच्चे नदी में नहाने गये थे। इसी दौरान पहले एक बच्चा डूबने लगा। उसे बचाने गए तीन अन्य बच्चे भी गहरे पानी में डूब गए। सूचना मिलने के बाद परिजन मौके पर पहुंचे और बच्चों को बाहर निकालकर अस्पताल भी ले गए। लेकिन सभी को मृत घोषित कर दिया गया। भाई और दोस्त को बचाने में चारों बच्चों ने जान दे दी।
मृतकों में मो. शाबिर का पुत्र शाहबाज (12) और अरबाज (9) के अलावा शाबिर का साला दिलशाद (8) के साथ पुरैनी के मो. राजू उर्फ असलम का बेटा मो. सैफ (7) शामिल हैं। दिलशाद का घर खगड़िया के गोगरी जमालपुर में है और पिता का नाम मो. इसराफिल है। वह अपने बहनोई के घर आया था। बुधवार को वह अपने भांजे के साथ नहाने नदी पर गया था। सूचना पाकर ग्रामीणों की भीड़ चांदन नदी पर उमड़ पड़ी। इसके बाद सभी बच्चों के शव को पानी से बाहर निकाला गया। हालांकि परिजन आनन- फानन में अस्पताल भी ले गए, लेकिन सभी की मौत हो चुकी थी। इसके बाद जैसे ही शव घर पर पहुंचा तो परिजनों की चीत्कार से माहौल गमगीन हो गया।
जगदीशपुर के पुरैनी में डूबने से चार बच्चों की मौत से लोग सदमे में हैं, लेकिन इन बच्चों की हिम्मत और सोच के सभी कायल हो गए। इन बच्चों ने अपने भाई और दोस्तों की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। एक-दूसरे को डूबते देख बच्चों ने गहरे पानी में छलांग लगा दी। दुर्भाग्य से इन जांबाज मासूमों को किस्मत का साथ नहीं मिला और उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी। लोगों का कहना है कि बच्चों की जान चली गई जिसकी पूर्ति कोई नहीं कर सकता। लेकिन बच्चों ने जो अपनों को बचाने में कुर्बानी दी यह कभी नहीं भुलाया जा सकता।
जगदीशपुर के पुरैनी में बुधवार को एक साथ चार मासूमों का जनाजा निकला। खेलते-कूदते तीन घरों के चिराग बूझ गए। मासूमों का जनाजा देख पूरा गांव गमगीन था। सबके चेहरे पर उदासी थी। महिलाओं की आंखों में आंसू थे तो साथ खेलने-कूदने वाले बच्चे बदहवास थे। गांव के हर इंसान की आंखें नम थीं। घर में रमजान की खुशी पलभर में मातम में बदल गई थी। चारों बच्चे की मौत नहाने के दौरान चानन नदी में डूबने से हो गई थी।
मो. शाबिर ठेले पर घूम-घूमकर रमजान के लिए फल बेचने गया था। बुधवार को भी वह फल ही बेचने गए थे, लेकिन अपने जिन बच्चों की सलामती और परवरिश के लिए वह मेहनत करते थे, उसके जनाजे को कंधा देना पड़ा। उसके पांच बेटों में शाहबाज और अरबाज सबसे बड़े थे। शाहबाज चौथी में और अरबाज मदरसे में पढ़ाई करता था। दोनों बेटों के शव को देखकर मां मेहरुन्निसा बार-बार बेहोश हो रही थीं। वह कुछ बोल नहीं पा रही थीं। वहीं महिला का छोटा भाई दिलशाद भी उनके बेटों के साथ हादसे का शिकार हुआ है। दिलशाद बुधवार को ही गोगरी जमालपुर से अपनी मां के साथ बहन के घर आया था। उसकी बहन बीमार थी, जिसकी दवाई लेकर आया था। परिजनों ने बताया कि गुरुवार को वह अपने घर वापस जाने वाला था, लेकिन उसे मौत ने बुला लिया। बेटे के शव पर मां बीबी तहरूम दहाड़ मारकर कह रहीं थी कि बेटी को बचाने आई थी, नहीं जानती थी कि बेटे का साथ छूट जाएगा। अब वापस घर जाकर परिवार को क्या जबाव दूंगी।
वहीं चौथा मृतक सैफ 7वीं में पढ़ता था। उसके पिता बेंगलुरु में रहकर मजदूरी का काम करता है। वह तीन भाई और दो बहनों में चौथे नंबर पर था। ग्रामीण मो. जहांगीर, मो. राजू और मो. छोटू ने बताया कि अल्लाह किसी भी परिवार को ऐसा दुख नहीं दे। गांव में पहली बार ऐसी घटना से लोग सकते में हैं। उधर, पुलिस के काफी समझाने-बुझाने पर मो. शाबिर का परिवार तीनों बच्चों का पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार हो गया। जबकि मो. सैफ अली का परिवार पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं हुआ। थाना प्रभारी गणेश कुमार ने बताया कि तीन शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। एक बच्चे के परिजनों ने पोस्टमार्टम नहीं कराने के लिए लिखित रूप से आवेदन देकर मना कर दिया। वहीं घटना को लेकर जांच की जा रही हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि जहां पर डूबकर चार बच्चों की मौत हुई है, वहां बालू माफिया द्वारा अबैध खनन कर नदी को काफी गहरा कर दिया गया है। जिससे बने गड्ढे में पानी भरा हुआ है। नदी में कई जगह जेसीबी से खोद कर बालू निकाला गया है। इसके अतिरिक्त पूरी नदी सूखी पड़ी है। ग्रामीणों में चर्चा हैं कि बालू माफिया का इतना मनोबल बढ़ा है कि बेखौफ रोज इस सुनसान जगह से अबैध बालू खनन करते हैं। हर बार पुलिस कार्रवाई की बात करती है, लेकिन कभी इधर देखने तक नहीं आती है। लोगों में भी बालू माफिया का इतना खौफ है कि वह भय से कुछ नहीं बोल पाते हैं। बुधवार को जब चारों बच्चों के लिए यह अवैध बालू खनन काल बन गया तो ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ रहा है।