Glacier से बनी प्राकृतिक झीलों से खतरा

Update: 2024-07-31 12:17 GMT
Recangpio. रिकांगपिओ। किन्नौर जिला के काशंग सहित सांगला कंडे में ग्लेशियरों से बनी प्राकृतिक झीलों से होने वाले संभावित खतरों को जांचने के लिए आपदा प्रबंधन दल मंगलवार को काशंग के लिए रवाना हुआ। एसपी किन्नौर अभिषेक एस ने दल को रवाना करते हुए उन्हें इस अभियान को सफल बनाने की बधाई दी। बता दें कि करीब 4300 मीटर की ऊंचाई पर आपदा प्रबंधन दल प्रथम चरण में काशंग में ग्लेशियर से बने प्राकृतिक झील का निरीक्षण कर यह पता लगाएगी कि भविष्य में यदि यह झील फटता है, तो उस क्षेत्र में नुकसानी कितनी रहेगी। टीम ऐसे कई विषयों का अध्यान कर किन्नौर प्रशासन को रिपोर्ट सौंपेंगी। बता दें कि गत सर्दियों के दौरान किन्नौर की इन ऊंची चोटियों पर ग्लेशियरों के गिरने से काशंग सहित सांगला कंडे में बड़ी-बड़ी
झील बनी शुरू हो गई।

किन्नौर प्रशासन ने दिनों झीलों से होने वाले संभावित खतरे को देखते हुए दोनों प्राकृतिक झीलों की मॉनिटरिंग करनी शुरू कर दी ताकि संभावित खतरों को टाला जा सके या फिर जान-माल की नुकसानी को कम किया जा सके। ऐसे संभावित खतरों के कई पहलुओं को लेकर किन्नौर प्रशासन पूरी तरह नजर बनाए हुए है। बता दें कि वर्ष 2000 सहित 2005 में तिब्बत की पहाडिय़ों पर भी इसी तरह के प्राकृतक झील के टूटने से सतलुज सहित स्पीति नदी में बाढ़ आ गई थी। पानी का बहराव ज्यादा होने से किन्नौर, रामपुर, तत्तापानी व बिलासपुर आदि इलाको में नदी तटवर्तीय क्षेत्रों में कई लोगों की जान जाने के साथ करोड़ों अरबों रुपए की सरकारी व गैरसरकारी संपत्ति को नुकसान हुआ था। एक दर्जन से भी अधिक करोड़ों रुपए के कई पुलों के धराशायी होने से कई महीनों तक किन्नौर सहित स्पीति सडक़ मार्ग से कटा रहा था।
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