मेरठ: यूपी की अगर बात करें तो पिछले तीन सालों में साइबर अपराध ने तेजी से अपने पैर पसारे हैं। साइबर अपराधियों ने तेजी से जिस तरह से डिजिटल के इस क्षेत्र में लोगों की जेबों पर डाका डालने का काम किया है। वह वाकई चौंकाने वाला है। तेजी से लोगों के बीच अपनी पैंठ बनाते हुए इस तरह के अपराध ने लोगों की नींद उड़ा दी है। वहीं, यूपी सरकार ने प्रदेश स्तर पर सिर्फ 18 साइबर थाने खोले हैं। मेरठ सहित वेस्ट यूपी के जिलों में बढ़ते साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं।
साइबर सैल में ठगी के 15 से अधिक मामले की रोज शिकायत लोगों द्वारा की जा रही हैं। जिनमें एक महीने की औसतन शिकायतें चार सौ से लेकर पांच सौ तक आंकी गई हैं। वहीं वेस्ट यूपी के तीस जिलों में साइबर अपराध के औसत मामलों पर गौर किया जाये तो यह आंकड़ा रोजमर्रा के तौर पर 500 के आसपास पहुंÞच रहा है। अर्थात वेस्ट यूपी में साइबर अपराध के महीने भर में करीब 15 हजार मामले सामने आ रहे हैं।
पिछले तीन सालों की बातें करें तो साइबर अपराध करने वालों ने तेजी से यूपी में अपना जाल फैलाया है। सबसे बड़ी बात ये है कि तीन साल में सोलह लाख के ऊपर से अधिक के ये मामले प्रकाश में आये हैं। जिनमें वर्ष 2020 से 2022 के अंत तक 32 हजार से अधिक मामलों को पंजीकृत किया गया। वर्ष 2021 में साइबर ठगी के 8829 मामलों को पंजीकृ त किया गया। जबकि पिछले वर्ष अर्थात वर्ष 2022 में इनमें 22 प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन वर्ष 2023 के शुरुआत में फिर से साइबर ठगी के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है।
ठगी का अजीबो गरीब तरीका
लोगों को विभिन्न तरीकों से आॅनलाइन द्वारा ठगी की जा रही है। उदहारण के तौर पर साइबर अपराधियों ने आॅनलाइन शॉपिंग, फर्जी एप्स लोन, फर्जी सर्विस आॅनलाइन साइट व यूटयूब पर अश्लील साइट आदि तरीके अन्य आॅनलाइन के जरिए ठगी की जा रही है, लेकिन इस बढ़ते साइबर क्राइम पर रोकथाम के लिए कोई ठोस रणनीति सरकार के पास नहीं दिखाई देती है।
हेल्प डेस्क होगी गठित
डिजिटलाइजेशन के बढ़ते प्रचलन पर साइबर अपराध के बढ़ते मामलों में जिले भर में साइबर हेल्प डेस्क का गठन करने की बात भी वाकई लीपापोती करने वाली बात साबित होती दिखाई दे रही है। साइबर अपराध के बढ़ते कदम पर पुलिस इस ओर से कतई गंभीर नहीं दिखाई पड़ती। साइबर अपराध रोकने के लिए हेल्प लाइन नंबर 1930 को जारी किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में साइबर अपराध के मामलों में लगभग 22.6 प्रतिशत की कमी देखी गई है। वर्ष 2021 में 8829 मामले दर्ज हुए थे। जबकि वर्ष 2022 में 22 प्रतिशत की कमी आई है।