वेरियेशन के नाम पर करोड़ों रुपए का बंदरबांट

Update: 2024-04-22 06:20 GMT

पीएमजीएसवाय बना भ्रष्टाचार का दरिया

नई सरकार आने के बाद नए अधिकारियों ने ये खेल बंद कराया

छुटभैये कांग्रेसियों ने जमकर डुबकी लगाया

कोल और शराब के बाद यह भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार केंद्र बना

रायपुर (जसेरि)। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना कांग्रेसियों के लिए भ्र्ष्टाचार का दरिया बना हुआ था। छुटभैये कांग्रेसी नेताओं ने खूब डुबकी लगाई। कल तक जो छुटभैये कांग्रेसी नेता आटो और दो पहिया वहां में घूमते थे पीएमजीएसवाय के अधिकारीयों की मदद से नई चमचमाती गाड़ियों में घूमने लगे हैं। ये छुटभैये नेता सेटिंग बाज के नाम से जाने जाते हैं और भाजपा शासन में भी मंत्रियो को सेट कर लिए है ऐसी जानकारी मिल रही है। अब नए अधिकारियों और मंत्री को संज्ञान में लेकर इसकी जाँच गंभीरता से करवाना चाहिए ताकि गड़बड़ी करने वालों का नाम सामने आये। वर्ना बदनामी का ठीकरा इनके ऊपर फूटने से कोई रोक नहीं सकेगा। समय रहते हर हाल में जाँच होना चाहिए। छत्तीसगढ़ की सभी सडक़ों का हजारों करोड़ का बड़ा घपला जो पिछली कांग्रेस सरकार में मंत्रियों के चहेते अधिकारी बने हुए थे और टेंडर फाइनल करना उन्हीं के हाथ में था, वही अधिकारी आज भी अंबिकापुर, राजनांदगांव सहित कई डिवीजन में कार्यपालन अभियंता बनकर मलाई खा रहे हैं। इसकी जांच वर्तमान मंत्री और अधिकारियों को बारीकी से करना चाहिए। गौरतलब है कि पिछले पांच साल में कांग्रेस के छुटभैया नेताओं ने भी पीएमजीएसवाय के अधिकारियों से सेटिंग कर करोड़ों के वारे न्यारे किए। घोटाला रोकने के लिए भाजपा सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों को कमर कसनी होगी और चौकन्ना होकर त्वरित कार्रवाई करनी होगी।

छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंबिकापुर, राजनांदगांव डिवीजन में पुराने सरकार के समय से कार्यपालन अधिकारी बने हुए जो कोर्ट के दिशा निर्देश के अनुसार इस पद के योग्य ही नहीं है। फिर भी अभी तक इस पद पर कैसे बने यह भी गंभीर विषय है।

केंन्द्र सरकार जांच करने को तैयार, बड़े और छुटभैया कांग्रेस नेता जाएंगे जेल

छत्तीसगढ़ में निर्माणाधीन प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ों के गुणवत्ता निरीक्षण के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक इस महीने राज्य के दौरे में रहेंगे। राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक सरगुजा, रायगढ़ एवं जांजगीर चांपा, कोण्डागांव, नारायणपुर, बीजापुर एवं सुकमा जिलों का दौरा कर सड़को की गुणवत्ता की रिपोर्ट केंद्र को भेजेंगे।

काम बजट में उच्च गुणवत्ता कैसे ?

कम बजट में कार्य पूर्ण होगा यह आश्चर्यजनक है। पिछले 5 वर्षों से दर में कोई वृद्धि नहीं हुई है जबकि महंगाई बढ़ी है मजदूरों का दर, निर्माण सामग्री रेट गिट्टी डामर का दर, डीजल का दर बढ़ा है ऐसी स्थिति में 20 परसेंट बिलो रेट में कार्य स्वीकृत होना और उसमें गुणवत्तापूर्ण कार्य होना संभव नहीं है। इसमे मुख्य खेल ठेकेदार और संबंधित अधिकारी के मिली भगत से होता है। जो नई सरकार आने के बाद नए अधिकारियों को पीएमजीएसवाय की कमान दी गई तब जाकर कमीशन का खेल बंद हुआ। गौरतलब है कि पूर्व के उच्च अधिकारियों ने बीस परसेंट बिलो रेट में टेंडर स्वीकृत कर वेरियेशन के नाम पर टेंडर का भुगतान पुराने रेट में ही कर देते थे इस प्रकार अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाते थे और ख़ुद भी उपकृत होते थे। पांच साल में मंत्री के पीए से लेकर बड़े अधिकारी तक मालामाल हो गए। लेकिन अब नए अधिकारियों के आने के बाद इन सब कामों पर लगाम लग गया है।

नरेगा की सड़क को पीएमजीएसवाय बता भुगतान लिया

ऐसी भी खबर मिली है कि जिन मार्गों की निविदाएं की गई है उसे मार्ग में नरेगा के अंतर्गत अर्थ वर्क किया गया है। जबकि वर्तमान टेंडर में भी अर्थ वर्क का बजट जुड़ा होना बताया जा रहा है। ऐसा लगता है कि उस अर्थ वर्क को टेंडर की प्रक्रिया में विभागीय मदद से घालमेल किया जाएगा। तभी यह काम हो सकता है अन्यथा गुणवत्तापूर्ण मार्ग निर्माण संभव नहीं है। प्रदेश के संपूर्ण सडक़ निर्माण के कार्य में लगभग 100 से 80 करोड़ का कार्य मिट्टी से होना है। यह भी पता चला है की जानबूझकर वहीं निविदा बुलाई गई है जहां मिट्टी का कार्य नरेगा के माध्यम से पिछले वर्षों में हुआ है।

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