नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली के सांसदों पर विकास कार्य और फंड खर्च नहीं करने के आरोप लगाए हैं। बुधवार को केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र ने दिल्ली में विकास की कई बड़ी परियोजनाओं पर काम किया है।
इसके साथ ही पुरी ने कहा कि इस बार भाजपा को पिछली बार से अधिक, 340-350 सीटें मिलने जा रही है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि डीडीए, एमसीडी, यूडीएफ, केंद्रीय मंत्रालय और मेट्रो की परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने 54,000 करोड़ रुपए से अधिक का फंड दिया है। राजधानी दिल्ली में अर्बन ट्रांसपोर्ट बढ़ा है और यह केंद्र सरकार के कारण ही संभव हुआ है। डीडीए, एमसीडी व यूडीएफ परियोजनाओं के तहत नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में 7,500 करोड़ रुपए की लागत से कुल 44 प्रोजेक्ट शुरू किए गए। नई दिल्ली क्षेत्र में 1,144 करोड़ रुपए की 51 परियोजनाओं पर काम किया गया। साउथ दिल्ली में 1,832 करोड़ रुपए की लागत से 111 परियोजनाओं पर काम किया गया।
उन्होंने आगे बताया कि चांदनी चौक में डेढ़ दर्जन विभिन्न परियोजनाओं के लिए 271 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए। उत्तर पूर्वी दिल्ली में 11 परियोजनाओं के लिए 89 करोड़ रुपए मंजूर किए गए। पूर्वी दिल्ली में 3,039 करोड़ रुपए की 32 परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया। पश्चिमी दिल्ली में 332 परियोजनाओं के लिए 2,232 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।
केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बेबुनियाद आरोप लगाते हैं। केजरीवाल से पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने दिल्ली के लिए क्या किया। दिल्ली सरकार की ओर से कोई प्रपोजल नहीं आया। दिल्ली में अभी तक आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं किया गया। दिल्ली में जो मोहल्ला क्लीनिक बनाए गए, वे बहुत जर्जर हैं और महामारी के समय कॉलेप्स हो गए थे।
उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया कि दिल्ली में अभी तक पीएम आवास योजना को भी लागू नहीं किया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने अपना शीशमहल बना लिया। पहले इन लोगों ने शराब के खिलाफ होने की बात कही और फिर शराब घोटाला किया। शराब घोटाले में वकीलों को फीस के रूप में अभी तक 20 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
स्वाति मालीवाल मामले पर कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि इसके अलावा और भी महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। इस टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि शशि थरूर ने इतने वर्षों तक संयुक्त राष्ट्र में काम किया, क्या आप कहेंगे कि महिला सशक्तीकरण का मुद्दा महत्वपूर्ण नहीं है। आतिशी ने भी यही बात कही। उन्हें शर्म आनी चाहिए जो खुद कह रही हैं कि ये कोई अहम मुद्दा नहीं है।