कानून के शिकंजे में सनकी आशिक, दूसरी माशूका के लिए पहली का किया Murder
पुलिस की सुस्त कार्रवाई को देखते हुए परिजनों को कोर्ट कि शरण लेनी पड़ी।
इंदौर: इंदौर के एक सनकी आशिक ने अपनी दूसरी माशूका के लिए पहली महिला मित्र को मौत के घाट उतार दिया। मामले में पुलिस की सुस्त कार्रवाई को देखते हुए परिजनों को कोर्ट कि शरण लेनी पड़ी। कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने तीन महीने बाद आरोपी को गिरफ्तार कर उससे सख्ती से पूछताछ की।
पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने छात्रा का शव एक जगह फेंकने बात बताई। उसके बाद पुलिस बुधवार को उसकी खोजबीन में लगी रही। आरोपी द्वारा बताई गई जगह पर छात्रा के कुछ सामान और अन्य सामग्री मिली है । पूरे मामले को लेकर हाई कोर्ट अधिवक्ता आयुष अग्रवाल ने बताया कि घटना 25 अप्रैल की है। चंदन नगर की रहने वाली सारा (20) पिता साबिर अली अपने घर से रोजाना की तरह देवास बायपास स्थित एक्रोपोलिस कॉलेज के लिए घर से निकली, लेकिन शाम होने के बाद भी घर नहीं लौटी। पिता ने क्षिप्रा थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस पर आरोप कि उसने खानापूर्ति करके सिर्फ मामला दर्ज कर लिए। जब कई दिनों तक सारा कि कोई खबर नहीं मिली तो उसके परिजनों ने हाई कोर्ट कि शरण ली। पुलिस का इसे हठधर्मिता कह सकते हैं कि कोर्ट के फटकार बाद भी छात्रा के बारे में कोई जानकारी परिजनों को नहीं दी। पुलिस से परेशान होकर परिजनों ने हाई कोर्ट में 30 मई को फिर से गुहार लगाई। कोर्ट ने पुलिस को 15 दिन का समय दिया। पुलिस फिर भी छात्रा कि कोई जानकारी नहीं जुटा पाई। 3 जुलाई को हाई कोर्ट ने फटकार लगाई तो उसके बाद पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया। आरोपी गौरव सरकार से पूछताछ करने पर उसने पूरी कहानी को सिलसिलेवा ढंग से बताया।
25 अप्रैल को लापता छात्रा सारा अपने धार रोड स्थित घर से निकली। घर से कॉलेज पहुंचने के बाद सारा अपने दोस्त गौरव के साथ एक्रोपोलिस कॉलेज में क्लास अटेंड करने के बाद गौरव के साथ निकली। उस समय कॉलेज की एक छात्रा स्नेगिधा भी गौरव के साथ थी। कुछ दूर क्षिप्रा के नजदीक जाने के बाद गौरव ने सारा की चाकू मारकर हत्या कर दी। उसके बाद अपनी दूसरी महिला मित्र स्नेगिधा के साथ जूम टैक्सी बुककर घटना वाली जगह से निकल गया।
हाई कोर्ट के अधिवक्ता आयुष अग्रवाल का सीधा आरोप कि पुलिस को गौरव और सारा को एक साथ कॉलेज से बाहर जाते हुए देखने के सबूत भी दिए। कुछ दिन बाद पुलिस ने गौरव को थाने बुलाया, लेकिन उससे सख्ती से कोई पूछताछ नहीं की। गौरव ने पुलिस को बताया कि वो सारा को क्षिप्रा पुलिस के पास छोड़ कर चला गया था। यदि पुलिस उसी दिन गौरव से सख्ती से पूछताछ करती तो सारा का शव सही अवस्था में मिल जाता। उसकी फोरेंसिक जांच में हत्या के तथ्य सामने या सकते थे। लेकिन, अब 3 माह बाद सिर्फ सारा के बॉडी के अवशेष ही बचे हैं। यदि उसके साथ हत्या के पहले कोई अन्य घटना हुई है तो उसके साक्ष्य खत्म हो गए होंगे।
अधिवक्ता आयुष अग्रवाल ने बताया कि तीन बार हाई कोर्ट में जब गुमशुदा छात्रा की कोई जानकारी पुलिस ने नहीं दी तो पुलिस को कोर्ट ने फटकार लगाई। उसके बाद एसपी के निर्देश पर पुलिस गौरव को मुंबई से पकड़ कर ले कर आई। बुधवार को पुलिस गौरव और स्नेगिधा को उसी जगह लेकर गई जहां पुलिस को हड्डियों के कुछ अवशेष और सारा के कुछ आभूषण मिले।
अधिवक्ता आयुष अग्रवाल ने सीधे तौर पर पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है। सारा की हत्या कैसे हुई, यह अभी भी पहेली है। अब जल्द ही अगली सुनवाई में अधिवक्ता द्वारा सीबीआई के पास यह केस ट्रांसफर करने की मांग की जाएगी।
वहीं, पूरे मामले को लेकर ग्रामीण एसपी हितिका वासले का कहना था कि दोनों ही आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल लिया है। गौरव सरकार द्वारा पहले सारा का गला दबाया गया उसके बाद चाकू मार कर उसकी हत्या कर दी गई। शव को झाड़ियों में फेंकने के बाद गौरव अपनी दूसरी महिला मित्र स्नेगिधा के साथ फरार हो गया था।
सारा की हत्या करने के बाद आरोपी गौरव सरकार मुंबई भाग गया था, जहां वह उबेर ड्राइवर का काम कर रहा था। इधर हाईकोर्ट की फटकार के बाद पुलिस एक्शन में आई और गौरव के बारे में जानकारी जुटाई, तब पता चला कि वह मुंबई में है। इसके बाद पुलिस टीम उसे दबोचने के लिए मुंबई गई, लेकिन पता चला कि गौरव नासिक चला गया है। पुलिस उसे ढूंढती हुई नासिक पहुंची, जहां वह एक होटल में वेटर का काम कर रहा था। पुलिस ने गौरव को धरदबोचा और इंदौर लेकर आई।
जानकारी के मुताबिक आरोपी गौरव सरकार के कई लड़कियों से संबंध थे। गौरव की पहले सारा से दोस्ती थी, लेकिन बाद में दूसरी महिला मित्र स्नेगीधा से घनिष्ठता बढ़ गई। ऐसे में सारा को रास्ते से हटाने के लिए उसकी हत्या का षड्यंत्र रचा। गौरव के पिता सुतारी का काम करते हैं।