COVID-19 : भारत में तीसरी लहर चपेट में अधिक संक्रमित हुई युवा आबादी, अन्य बीमारियों के कारण मौतें- ICMR

भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर की चपेट में अधिकतर कम आयु वाले मरीज आए। इन मरीजों में संक्रमण के सभी लक्षण नहीं रहे लेकिन अधिक संक्रमित मरीज वैसे थे जो अन्य बीमारियों से पीड़ित थे।

Update: 2022-02-03 18:53 GMT

नई दिल्ली। भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर की चपेट में अधिकतर कम आयु वाले मरीज आए। इन मरीजों में संक्रमण के सभी लक्षण नहीं रहे लेकिन अधिक संक्रमित मरीज वैसे थे जो अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। यह जानकारी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव ने दी। उन्होंने बताया कि कि कोरोना की इस लहर में मरीजों में गले में खराश की समस्या अधिक थी। साथ ही पिछली लहर की तुलना में इस बार औसतन 44 वर्ष की आयु वाली कम उम्र की आबादी अधिक संक्रमित हुई। इनमें भी अधिक संक्रमित मरीज दूसरी बीमारियों से भी पीड़ित थे।

'नेशनल क्लिनिकल रजिस्ट्री' के तहत देश भर के 37 विभिन्न अस्पतालों में हुए प्लाज्मा स्टडी से संकलित डेटा लिया गया। इसमें दो समय अवधि को निर्धारित कर अध्ययन हुआ। पहला 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक जब डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप था और दूसरा 16 दिसंबर से 17 जनवरी तक जब ओमिक्रोन अपने चरम पर रहा। डा. भार्गव ने बताया कि अध्ययन के तहत अस्पतालों में भर्ती 1,520 संक्रमितों का विश्लेषण किया गया। इसके अनुसार तीसरी लहर के दौरान मरीजों की औसत आयु लगभग 44 वर्ष थी। अध्ययन के अनुसार, इस लहर के दौरान दवाओं का उपयोग काफी कम हुआ। गुर्दे की विफलता, श्वसन संबंधी गंभीर रोग (एआरडीएस) और अन्य रोगों के संबंध में कम जटिलताएं देखने को मिलीं।
ICMR के महानिदेशक ने यह भी बताया कि आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर वैक्सीन की खुराक ले चुके लोगों में मृत्यु दर 10 फीसद और बिना वैक्सीन लेने वालों में 22 फीसद रही। वास्तव में इस युवा आबादी में वैक्सीन ले चुके 10 में से नौ लोग पहले से अन्य बीमारियों से पीड़ित थे जिनकी मृत्यु हुई। बिना वैक्सीन वाले 83 फीसद लोग पहले से विभिन्न रोगों से ग्रस्त थे। इसलिए वैक्सीन न लेने और पहले से कई बीमारियों से पीड़ित होने पर किसी मरीज का भविष्य तय होता है
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