नई दिल्ली (आईएएनएस)| केंद्रीय कानून मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि कोविड लॉकडाउन अवधि के बाद से देशभर की अदालतों ने दो करोड़ से अधिक मामलों की वर्चुअल सुनवाई की है। इसी के साथ देश वर्चुअल सुनवाई में दुनिया में सबसे आगे निकल गया है। अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग गुजरात, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड, पटना और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालयों और भारत के सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो गई है। ट्रैफिक अपराधों की सुनवाई के लिए 17 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में 21 वर्चुअल अदालतें स्थापित की गई हैं। इन अदालतों ने 2.21 करोड़ से अधिक मामलों की सुनवाई की और 325 करोड़ रुपये का जुमार्ना वसूल किया। दिल्ली हाईकोर्ट ने एनआई अधिनियम की धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामलों की सुनवाई के लिए 34 डिजिटल कोर्ट शुरू किए हैं।
कानूनी कागजातों की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग के लिए एक ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत की गई है। जिससे वकीलों को 24 घंटे सातों दिन मामलों से संबंधित दस्तावेजों तक पहुंचने और उन्हें अपलोड करने की अनुमति देता है। इसके अलावा वकील या वादी की मदद के लिए 619 ई-सेवा केंद्र शुरू किए गए हैं। वकीलों और वादियों को मामले की स्थिति, मुकदमा सूचियों, फैसलों आदि पर वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए सात प्लेटफार्मों के माध्यम से नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस (एनएसटीईपी) को प्रोसेस सेवा और समन जारी करने के लिए विकसित किया गया है और वर्तमान में यह 26 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रहा है। न्याय क्षेत्र के बारे में जनता को जागरूक करने के लिए विभाग की विभिन्न योजनाओं के विज्ञापन तथा जनता को विभिन्न क्षेत्रों की स्थिति प्रदान करने के लिए 24 उच्च न्यायालयों में 38 जस्टिस क्लॉक लगाई गई हैं।
डब्ल्यूएएन परियोजना के हिस्से के रूप में 2,992 अदालत परिसरों (99.3 प्रतिशत साइटों) में से 2,973 को ओएपसी, आरएफ और वीएएसटी आदि जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके 10 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस बैंडविड्थ स्पीड प्रदान की गई है। इलैस्टिक सर्च तकनीक के साथ विकसित राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) का उपयोग करके वकील और वादी 21.44 करोड़ मामलों और 19.40 करोड़ से अधिक आदेशों-निर्णयों की स्थिति की जानकारी ले सकते हैं।