देश की पहली ग्रीन हाईड्रोजन फ्यूल कार लॉन्च, ₹1 KM से भी कम में भरेगी फर्राटा
नई दिल्ली : देश की पहली ग्रीन हाईड्रोजन फ्यूल कार (Green Hydrogen Fuel Cell Car) बुधवार को लॉन्च की गई. इस कार को देश में गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है. नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) समेत चार केंद्रीय मंत्रियों ने बुधवार को इसको लॉन्च किया.
ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार को फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. इस कार के सफल होने पर आने वाले समय में देशभर में ऐसी गाड़ियों की बिक्री की जाएगी. इस तरह की कारों को चलाना पेट्रोल और सीएनजी कारों की तुलना में काफी सस्ता होगा.
ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार से चलने पर 1 रुपये प्रति किमी से भी कम का खर्च आएगा. जबकि पेट्रोल पर चलने वाली कार का खर्च 5-7 रुपये प्रति किमी आता है. वहीं सीएनजी कार का खर्च 3 से 4 रुपये प्रति किमी तक का होता है.
कार की लॉन्चिंग के मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari), पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी (Hardeep Puri) और ऊर्जा मंत्री व भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे (Mahendra Nath Pandey) मौजूद रहे.
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत
परिवहन मंत्रालय ने बुधवार को हाइड्रोजन से चलने वाली कार यानी फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की. इस पायलट प्रोजेक्ट में टोयोटा किर्लोस्कर मोटर की FCEV टोयोटा मिराई (Toyota Kirloskar Mirai) कार शामिल होगी.
इलेक्ट्रिक व्हीकल ये ज्यादा होगी रफ्तार
टोयोटा ने इस कार को इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी के साथ मिलकर तैयार किया गया है. यह देश की पहली Green Hydrogen Fuel Cell से चलने वाली कार है. खास बात ये है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल की तुलना में इसकी स्पीड ज्यादा होने का दावा किया जा रहा है.
1 रुपये KM से भी कम में भरेगी फर्राटा
इस न्यू लॉन्च कार में 5 मिनट में हाइड्रोजन भर जाएगी और फिर यह 550 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकेगी. परिवहन मंत्री ने कहा कि अभी 6 से $7 में (करीब 500 रुपये) 1 किलो हाइड्रोजन से 550 किलोमीटर तक गाड़ी दौड़ेगी. 500 रुपये में 550 तक का सफर तय करने पर एक किमी का खर्च करीब 90 पैसे आएगा
प्रदूषण का खतरा होगा कम
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी एडवांस होगी गाड़ियां सस्ती होंगी और लोगों को महंगे पेट्रोल डीजल से निजात मिलेगी. गाड़ियां ग्रीन हाइड्रोजन से चलने से न तो कोई प्रदूषण का खतरा रहेगा और ना ही पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन की किल्लत होगी.