कोरोना: CT स्कैन को चकमा नहीं दे पाएगा वायरस, जानिए कब कराएं ये टेस्ट और कैसे रीड करें?
देशभर में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच RT-PCR टेस्ट की गलत रिपोर्ट्स चिंता का कारण बनी हुई हैं. गंभीर लक्षण होने के बावजूद लोगों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ रही हैं. ऐसा माना जा रहा कि ये म्यूटेट वायरस बड़ी आसानी से PCR टेस्ट को चकमा दे सकता है. इसलिए दोबारा टेस्ट कराने की बजाए मरीजों को CT स्कैन कराने की सलाह दी जा रही है.
छाती के एक्स-रे और HRCTs की तेजी से बढ़ती मांग ने इनकी कीमतों और जरूरतों को भी बढ़ा दिया है. मेडिकल डायग्नोस्टिक और तमाम लैब्स टेस्ट कराने वाले लोगों की भारी भीड़ देख रहे हैं, जो कि बीमारी की गंभीरता को समझने में मददगार हैं. लेकिन वास्तव में ये टेस्ट किन्हें कराने की जरूरत है? आप इसे कैसे रीड कर सकते हैं? और आपको क्या करना चाहिए? इस बार में आपको विस्तार से जानकारी देते हैं.
क्या है HRCT रिपोर्ट- हाई रेजोल्यूशन कॉम्प्यूटेड टोमोग्राफी (HRCT) टेस्ट शरीर में वायरल इंफेक्शन की मौजूदगी का पता लगाने का एक अलग तरीका है. दरअसल, छाती का स्कैन वो लोग करवा रहे हैं जिनके शरीर में इंफेक्शन के कॉमन लक्षण तो नजर आ रहे हैं, लेकिन RT-PCR टेस्ट में उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है.
एक तरफ जहां सामान्य RAT (रैपिड एंटीजन टेस्ट) और RT-PCR (रीयल टाइम पॉलीमिरेज़ चेन रिएक्शन टेस्ट) में नाक या गले से लिए गए सैंपल के जरिए इंफेक्शन का पता लगाया जाता है. वहीं, HRCT टेस्ट एक डायग्नोस्टिक टूल है जो फेफड़ों की मौजूदा हालत के बारे में बताता है.
अब ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि नया म्यूटेट वायरस शुरुआती दिनों में ही मरीज के फेफड़ों को डैमेज कर रहा है. ऐसे में CT स्कैन वायरल इंफेक्शन की गंभीरता और उसके प्रसार की सटीक जानकारी देने का काम कर रहा है. इतना ही नहीं, इससे मरीज को सही इलाज लेने में भी मदद मिलती है.
HRCT स्कैन डॉक्टर की सलाह पर उस वक्त कराया जाता है जब किसी इंसान के शरीर में कोविड-19 के हल्के या गंभीर लक्षण नजर आ रहे हों. ये उन लोगों के लिए भी एक मददगार डिटेक्टर है जो रेस्पिरेटरी इंफेक्शन जैसी अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं.
कैसे रीड करें HRCT रिपोर्ट- आमतौर पर HRCT टेस्ट की रीडिंग CORAD स्कोर और CT स्कोर के माप के आधार पर की जाती है, जो कि RT-PCR में डिटेक्ट की गई CT वेल्यू से एकदम अलग होती है. CT स्कैन में CORAD के आधार पर शरीर में वायरल इंफेक्शन के स्तर को निर्धारित किया जाता है.
CORAD की स्कोरिंग 1-6 अंकों के बीच की जाती है, जिसमें 1 का मतलब है- संदिग्ध व्यक्ति कोविड नेगेटिव है यानी उसके फेफड़ों को फंक्शन नॉर्मल है. 2-4 के बीच स्कोर वायरल इंफेक्शन की संभावना को दर्शाता है. स्कोर में 5 का मतलब कोविड-19 के हल्के लक्षण से है. अगर रिपोर्ट में स्कोर 6 आ रहा है तो समझ लीजिए कोविड-19 से मरीज को खतरा बहुत ज्यादा है. RT-PCR की पॉजिटिव रिपोर्ट और सांस में तकलीफ के आधार पर भी मरीज को कोर CORAD-6 स्कोर दिया जाता है.
CORADS के अलावा, HRCT स्कैन में कभी-कभी CT सीवियरिटी स्कोर भी मेंशन किया जाता है, जो कि हमें फेफड़ों की वास्तविक हालत के बारे में बताता है. हर लैब्स में इसे अलग-अलग तरह से रीड किया जाता है. अधिकांश लैब्स में इसे 1-40 या 1-25 के बीच अंकित किया जाता है. स्केल पर ज्यादा स्कोर फेफड़ों पर बड़े खतरे और कोविड-19 की गंभीरता को दर्शाता है.
क्या सभी मरीज कराएं HRCT स्कैन- HRCT स्कैन की लगातार उठ रही मांग के चलते इसकी कीमत बहुत बढ़ गई हैं. लोग बीमारी का पहला लक्षण देखते ही छाती और फेफड़ों की स्कैनिंग के लिए पहुंच रहे हैं. ये फेफड़ों में इंफेक्शन की पुष्टि और उसकी गंभीरता को डिटेक्ट करता है. जैसा कि हालिया रजिस्टर्ड मामलों में देखा भी जा रहा है. हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट कह रहे हैं सभी लोगों को इसकी जरूरत नहीं है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यदि RT-PCR में किसी व्यक्ति की रिपोर्ट नेगेटिव है और फिर भी उसके शरीर में कोरोना के कॉमन लक्षण नजर आ रहे हैं तो ऐसे में HRCT स्कैन टेस्ट मददगार साबित हो सकता है. यदि किसी व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव है और एक सप्ताह बाद भी उसके लक्षणों में आराम नहीं है तो वे HRCT स्कैन करवा सकते हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि वायरस शुरुआती एक सप्ताह के बाद 'लोवर रेस्पिरेटरी एरिया' को प्रभावित करता है. इस कंडीशन में भी छाती का स्कैन सही काम करेगा.
कब अस्पताल में एडमिट हों- अगर ये टेस्ट फेफड़े जैसे प्रमुख अंगों में इंफेक्शन के लेवल और गंभीरता का सिग्नल देते हैं तो HRCT पर हाई स्कोर वाले हर मरीज को हॉस्पिटलाइज करने की जरूरत नही हैं. कोविड में कई बार हल्के लक्षण होने पर भी फेफड़ों पर असर पड़ता है. ऐसे मरीज सही सलाह और इलाज से घर में भी आसानी से रिकवर हो सकते हैं.
इंफेक्शन के हल्के या मध्यम मामलों में डॉक्टर्स इंजेक्शन, स्टेरॉयड या स्टीम इनहेलेशन थैरेपी की सलाह दे सकते हैं. अस्पताल जाने की नौबत पहले से किसी बीमारी के आधार पर भी तय की जा सकती है. इसलिए लोगों को रिकवरी पीरियड के दौरान सही ढंग से इलाज कराने और डॉक्टर के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है.