रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में जैव-सीएनजी संयंत्रों की स्थापना से राज्य में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा मिल रहा है। यह न केवल पर्यावरणीय लाभ प्रदान कर रहा है, बल्कि कृषि अवशेषों और गोबर जैसे संसाधनों के उपयोग से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है। यह बात रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आज लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर को साझा करते हुए कही। श्री अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ में सीएनजी संयंत्रों को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों को में रखते हुए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी थी। जिस पर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने बताया कि, छत्तीसगढ़ में जैव-सीएनजी (सीबीजी) संयंत्रों की स्थापना के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2024-30 की नवीनतम औद्योगिक नीति के तहत बायो-सीएनजी संयंत्रों को प्रोत्साहित करने के लिए कई वित्तीय और अन्य सुविधाएं प्रदान की हैं। इनमें विद्युत शुल्क, स्टांप शुल्क, और पंजीकरण शुल्क में छूट शामिल है। ध्यान
स्थानीय रोजगार और विकास पर प्रभाव
गोबरधन पोर्टल के अनुसार, छत्तीसगढ़ में अब तक 18 सीबीजी परियोजनाएं पंजीकृत की गई हैं, जिनमें से एक परियोजना कार्यरत है और तीन निर्माणाधीन हैं। प्रत्येक संयंत्र स्थानीय स्तर पर लगभग 25 प्रत्यक्ष और 50 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करता है। इसके साथ ही, स्थानीय निर्माण और सहायक कार्यकलापों में भी लोगों को रोजगार मिल रहा है। केंद्र सरकार ने 'किफायती परिवहन के लिए दीर्घकालिक विकल्प (SATAT)' योजना के तहत जैव-सीएनजी उत्पादन को प्रोत्साहित करने की शुरुआत की है। इस योजना में तेल और गैस विपणन कंपनियों ने संभावित उद्यमियों से रुचि की अभिव्यक्ति (EOI) आमंत्रित की है। इसके अलावा, जैव-सीएनजी परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न सहूलियतें भी दी जा रही हैं। बृजमोहन अग्रवाल ने आशा व्यक्त की है, कि जैव-सीएनजी संयंत्रों की संख्या बढ़ने से छत्तीसगढ़ एक स्वच्छ और आत्मनिर्भर राज्य बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा।