आज से जोजिला सुरंग का निर्माण कार्य होगा शुरू, नितिन गडकरी करेंगे फर्स्ट ब्लास्ट

आज से जोजिला सुरंग का निर्माण कार्य होगा शुरू, नितिन गडकरी करेंगे फर्स्ट ब्लास्ट

Update: 2020-10-15 02:51 GMT

ANI

देश को अटल टनल की सौगात देने के बाद केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर में सामरिक महत्व की एक और टनल का निर्माण शुरू करने जा रही है. केंद्रीय सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए इस सुरंग के निर्माण के लिए पहला ब्लास्ट करेंगे. सेना और सिविल इंजीनियरों की एक चोटी की टीम जोजिला-दर्रे के पहाड़ को काट कर इस सुरंग का निर्माण करेगी.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने खुद ट्वीट कर भारत सरकार के इस महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी है.बता दें कि टनल का निर्माण-कार्य ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से पिछले पांच महीनों से टकराव चल रहा है. गड़करी ने कहा है कि इस टनल के बनने से श्रीनगर, द्रास, करगिल और लेह क्षेत्रों में हर मौसम के लिए कनेक्टिविटी स्थापित हो जाएगी. इसके अलावा दोनों स्थानों के बीच यात्रा में लगने वाले समय में 3 घंटे 15 की कमी आएगी.

इस टनल के बनने से लैंड स्लाइड की आशंकाओं के बगैर नेशनल हाईवे वन पर श्रीनगर से लेह के बीच यात्रा की जा सकेगी. इस प्रोजेक्ट के तहत 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी, इसके अलावा 18.63 किलोमीटर लंबी एप्रोच रोड का निर्माण किया जाएगा. इस तरह से पूरे प्रोजेक्ट में 32.78 किलोमीटर लंबा सड़क बनाया जाएगा. 

इस पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण में 6808.63 करोड़ रुपये की लागत आएगी. सुरंग के निर्माण में 6 वर्ष का समय लगेगा, जबकि एप्रोच रोड को बनाने में 2.5 साल लगेंगे.

जोजिला टनल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद पूरा लेह-लद्दाख, करगिल-द्रास और सियाचिन सालों भर देश के बाकी हिस्सों से सड़क मार्ग से जुड़ा रहेगा. अभी इनमें से कई क्षेत्रों में सड़क मार्ग से कनेक्टिविटी साल के 6 महीने तक ही हो पाती है. सर्दियों के मौसम में यहां जाने वाली मौजूदा सड़कें बर्फ से ढक जाती हैं, लेकिन ये सुरंग इस समस्या को दूर कर देगी. इस नए सुरंग की मदद से इन इलाकों में सेना की मूवमेंट बेहद आसान हो जाएगी.

जोजिला टनल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करेगी. बता दें कि जोजिला दर्रा दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में से एक है. इस दुर्गम रास्ते में वाहन चलाना बेहद चुनौतीपूर्ण और खतरे से भरा है.  

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