दुष्परिणाम: दूषित हवा का अटैक, पहला मरीज अस्पताल में भर्ती

वायु प्रदूषण की वजह से गंभीर बीमारी की चपेट का पहला मामला सामने आया है

Update: 2021-11-17 17:34 GMT

वायु प्रदूषण की वजह से गंभीर बीमारी की चपेट का पहला मामला सामने आया है। दिल्ली के अस्पताल में वायु प्रदूषण की वजह से भर्ती 30 वर्षीय युवक गंभीर अस्थमा रोग का शिकार हुआ। डॉक्टरों ने चिकित्सीय जांच में पुष्टि की है। मरीज को पहले कभी ऐसी बीमारी नहीं थी और न ही वह धूम्रपान करता है। परिजनों से बातचीत में पता चला है कि मरीज और उसके भाई दोनों में वायु प्रदूषण का असर पड़ा है लेकिन मरीज की हालत अधिक खराब होने की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।

दिल्ली के द्वारका स्थित आकाश अस्पताल के डॉक्टरों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मरीज में इसिनोफिलिक नामक अस्थमा की पहचान हुई है। शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम होने की वजह से मरीज को भर्ती कराया गया। इस दौरान मरीज में सांस फूलने, घरघराहट महसूस करने और ऑक्सीजन की कमी के लक्षण भी थे।
डॉक्टरों ने बताया कि इसिनोफिलिक अस्थमा से पूरे सांस से सम्बंधित सिस्टम में सूजन पैदा कर दी थी। डॉक्टरों के अनुसार आमतौर पर अस्थमा के लक्षण तब दिखते हैं जब वायुमार्ग में सूजन के कारण सिकुड़न हो जाती है। इसिनोफिलिक अस्थमा, अस्थमा का एक फेनोटाइप प्रकार है। इस तरह के अस्थमा में नाक से लेकर सबसे छोटे वायुमार्ग तक पूरे सांस के सम्बंधित सिस्टम में सूजन हो जाती है। अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी घातक हो सकती है और यह वायुमार्ग में स्थायी रूप से संकुचन पैदा कर सकती है।
अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. अक्षय बुधराजा ने कहा कि जांच करने पर पीड़ित व्यक्ति के ब्लड लेवल में इसिनोफिलिक का पता चला। यह एक एलर्जी का संकेत होता है जिसके कारण कई एलर्जी और विषाक्त पदार्थों से युक्त खराब वायु गुणवत्ता के कारण ब्रोन्कियल अस्थमा हो जाता है। इसका लेवल ज्यादा होने पर पल्मोनरी फंक्शन में बाधा पहुंचती है। सांस छोड़ने वाले नाइट्रिक ऑक्साइड लेवल को बढ़ाता है।
उन्होंने बताया कि मरीज न तो धूम्रपान करता था और न ही वह कभी अस्थमा से पीड़ित हुआ था। इसलिए उसमे इस अस्थमा से पीड़ित होना काफी आश्चर्यजनक प्रतीत हुआ। उन्होंने बताया कि दिवाली से पहले मरीज को भर्ती कराया गया था। लगभग दो दिन पहले ओरल दवाओं के सेवन से उसकी समस्या में कोई कमी नहीं आई। मरीज को नेबुलाइज्ड दवाएं, स्टेरॉयड शॉट और ऑक्सीजन सप्लीमेंट दिया गया। मरीज को इलाज के बाद होम ऑक्सीजन थैरेपी पर छुट्टी दे दी गई।
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