नगर निगम पर कांग्रेस पार्षद ने लगये गंभीर आरोप, भूखंड घोटाले को लेकर किया खुलासा
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उदयपुर: नगर निगम में 272 भूखंडों के खुर्दबुर्द होने का मामला अभी शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. खुर्दबुर्द भूखंडों के घोटाले को सार्वजनिक करने वाले कांग्रेस पार्टी के सहवृत पार्षद अजय पोरवाल ने मामले में एक बार फिर से नया खुलासा किया है.
कांग्रेस पार्षद ने घोटाले का लगाया आरोप
पोरवाल ने बुधवार को 64 नए प्लॉट्स की सूची सार्वजनिक की है. जिसमें उनका दावा है कि इन भूखंडों में भी उसी तरह का घोटाला किया गया है जैसा हिरण मगरी इलाके में हुआ है. यह भूखंड प्रताप नगर के यूआईटी कॉलोनी में स्थित है, जो निगम को हस्तांतरित की गई थी. उन्होंने इस मामले में भाजपा नेताओं पर भू-व्यवसाई राजेंद्र धाकड़ को बचाने के आरोप लगाया है.
नगर निगम उदयपुर पर गंभीर आरोप
दरअसल, उदयपुर में नगर निगम में यूआईटी से हस्तांतरित होकर आई कॉलोनियों में भूखंड के खुर्दबुर्द होने के मामले में हर रोज नया खुलासा हो रहा है. इस पूरे मामले को उजागर करने वाले कांग्रेस के सहवृत पार्षद अजय पोरवाल अपने साथी पार्षदों के साथ बुधवार को मीडिया से मुखातिब हुए. इस दौरान उन्होंने फिर से नगर निगम उदयपुर पर गंभीर आरोप लगाए.
जांच कमेटी की मंशा पर सवाल
पोरवाल ने कहा है कि वे 64 ऐसे प्लाट की संख्या सार्वजनिक कर रहे हैं जिसमें उसी तरह का घोटाला किया गया है जैसा हिरण मगरी इलाके में हुआ था. पोरवाल ने बकायदा भूखंड के नंबर भी सार्वजनिक किए हैं. पोरवाल ने भूखंड घोटाले की जांच कर रही कमेटी की मंशा पर भी सवाल खड़े किए.
उन्होंने आरोप लगाया है कि पहली बैठक में तय किया गया था कि जांच के दौरान सारे दस्तावेज समिति के तमाम सदस्यों को दिए जाएंगे. लेकिन निगम ने आज तक उन्हें कोई भी दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए हैं.
अजय पोरवाल ने पूर्व की बैठकों पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि महापौर जीएस टांक की ओर से जो समिति गठित की गई थी, जिसमें राजस्व समिति अध्यक्ष अरविंद जारोली की अध्यक्षता में तीन पार्षद और तीन अधिकारियों को जोड़ा गया था. लेकिन अरविंद जारोली और निगम के अधिकारी सिराजुद्दीन ने दूसरे ही दिन अपना नाम वापस ले लिया और उसकी जगह उपमहापौर पारस सिंघवी को समिति का अध्यक्ष बना दिया.
पोरवाल ने बताया कि समिति पहली बैठक 4 जून 2021 को हुई थी. बैठक के बाद उन्होंने सेक्टर 11 के विभिन्न भूखंडों में फर्जी दस्तावेजों से खरीद-फरोख्त करोड़ों के घोटाले की बात कही थी और उसमें उदयपुर के नामचीन भू व्यवसाई राजेंद्र धाकड़ का नाम भी सामने आया था. इसके 1 महीने के बाद 3 फरवरी को दूसरी बैठक हुई थी.
करीब 2 घंटे तक चली इस बैठक में उन पांच भूखंडों के दस्तावेज मंगवाए गए और उनमें गड़बड़ी होने की आशंका समिति के सदस्यों ने भी जताई थी. उन सभी जगहों का मौका मुआयना करने पर भी सहमति बनी. पोरवाल ने कहा कि दूसरे दिन मौका मुआयना में उनके सभी आरोप सही पाए गए और निगम ने अपने बोर्ड लगाए.
उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद निगम ने गुपचुप तरीके से हिरण मगरी सेक्टर 3, 4, 5 और 6 की कॉलोनियों का सर्वे करवाया. राजस्व समिति के कर्मचारियों को लगाया गया. जिन्होंने खाली भूखंडों की सूची लाकर दी और भूखंडधारियों को निगम में आकर जांच कराने को कहा. इसके बाद में 32 भूखंडों में गड़बड़ी सामने आई और 4 लिपिकों की मिलीभगत पर उन्हें 16 सीसी का नोटिस दे दिया गया और कुछ भू कारोबारियों पर मुकदमा दर्ज करवा कर इतिश्री कर ली. इसमें करोड़ों के घोटाले के सबसे बड़े खिलाड़ी राजेंद्र धाकड़ और उनकी गैंग को बचाने का प्रयास किया गया.
उन्होंने कहा कि नगर निगम इस पूरे मामले में छोटे कर्मचारियों की बलि देने में जुटा हुआ है. लेकिन इस घोटाले के पीछे जो नेता और अधिकारी है उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. पोरवाल ने महापौर जीएस टांक से मांग की है कि वे इस पूरे मामले की एसओजी जांच के लिए प्रदेश सरकार को पत्र लिखें. जिससे इस घोटाले के सभी तथ्य सामने आ पाए.