Surgical ward के एसी-पंखे खराब होने से भर्ती रोगियों की हालत पतली

Update: 2024-07-20 12:00 GMT
TMC. टीएमसी। डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राजकीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय टांडा अस्पताल में सर्जिकल वार्ड के एसी खराब पड़े हैं। इसके चलते चिलचिलाती गर्मी में दाखिल बुजुर्ग, बच्चे और महिला मरीजों को गंभीर बीमारियों के साथ-साथ बिना एसी व पंखों के गर्मी की तपिश को भी झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है। चिलचिलाती गर्मी में एसी तथा पंखों को ठीक करवाने की और अस्पताल प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा है। हालांकि सर्जिकल वार्ड में कुछ पंखे चल भी रहे हैं परंतु सभी पंखे सुचारू रूप से नहीं चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में दाखिल आधे से ज्यादा मरीजों को गर्मी को सहन करने को मजबूर होना पड़ रहा है। दूसरी और नवनिर्मित शौचालय को अभी तक ताला लगाकर बंद रखा गया है जिसे अभी तक मरीजों के लिए नहीं खोला गया है। जबकि इन नवनिर्मित शौचालय को बने काफी समय हो चुका है। मरीजों के अनुसार सर्जिकल वार्ड के टॉयलट की पाइपें भी ब्लॉक हो गई हैं जिसके कारण बिस्तर पर एडमिट मरीजों को दूसरे वार्ड के टॉयलेट में जाने को
मजबूर होना पड़ रहा है।
हालांकि एक शौचालय चल रहा परंतु उसकी आधी पाइपें जाम पड़ी हैं और गंदा पानी लीकेज हो रहा है जिसके चलते शौचालय में गंदगी फैली हुई है। अभी हाल ही में बने वार्ड के नए टॉयलट के शीशे भी टूट गए हैं। नए बने शौचालयों के नए दरवाजों को पट्टियों के सहारे बांधा गया है तथा टॉयलट के दरवाजों पर शौचालय बंद होने का नोटिस लगा दिया गया हैं परंतु काफी समय बीत जाने के बाद भी इन्हें ठीक नहीं करवाया जा सका है। जो मरीज बुजुर्ग व महिलाएं चलने-फिरने में असमर्थ हैं उनका दूसरे वार्ड में जाना मुश्किलों भरा होता है। ऊपर से दूसरे वार्डों में भी मरीज एडमिट रहते हैं और उन्हें भी बाथरूम जाना पड़ता है। विदित है कि टांडा मेडिकल कालेज व अस्पताल में छह जिलों चंबा, मंडी , ऊना, कुल्लू , हमीरपुर और 15 लाख से अधिक आबादी वाले सबसे बड़े जिला कांगड़ा के मरीज टांडा अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचते हैं। प्रदेश के दूसरे बड़े मेडिकल कालेज की खिड़कियों के टूटे शीशों को गत्तों के सहारे जोड़ा गया है जिसके कारण वार्ड में अंधेरा ज्यादा रहता है। गर्मी में मरीजों को बीमारी के साथ-साथ अन्य समस्याओं को भी झेलना पड़ता है। नर्सिंग रूम व डाक्टरों के कक्ष के एसी भी बंद पड़े हुए हैं जिसके चलते पूरा-पूरा दिन व रात को इन्हें ड्यूटी करना मुश्किलों से भरा रहता है जिसके चलते इसका असर मरीजों पर भी बहुत अधिक पड़ता है।
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