भोपाल (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की विधानसभा में गुजरात की घटनाओं केा लेकर बनाई गई डॉक्यूमेंट्री के मामले में ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के खिलाफ अशासकीय संकल्प (निंदा प्रस्ताव) पारित किया गया है।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से चर्चा करते हुए बीबीसी पर उसके द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री को लेकर हमला बोला और कहा, यह डॉक्यूमेंट्री भारत की संप्रभुता पर गैर जिम्मेदार हमला है। इसका मकसद भारत के संविधान को कमजोर करना है। अशासकीय संकल्प भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन ने पेश किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा, भारत की बुनियाद हमारे संविधान में उल्लेखित, सिद्धांतों और मूल्यों पर टिकी है। इसमें संप्रभुता, प्रजातंत्र, स्वतंत्रता और अन्य कई मूल्य सम्मिलित हैं। ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद भारत ने इन मूल्यों को और समृद्ध किया है और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक वैभवशाली, गौरवशाली, संपन्न और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में पूरी दुनिया में उभरा है।
चौहान ने आगे कहा, भारत आज कई मुद्दों पर दुनिया का नेतृत्व कर रहा है और ऐसे में कुछ समूह या कुछ व्यक्ति, वैश्विक स्तर पर भारत की जो प्रसंगिकता बढ़ी है उस से व्यथित मालूम होते हैं। उन्हें तकलीफ और कष्ट है। इसलिए भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए और देश में हलचल पैदा करने के लिए, बीबीसी ने जो किया है उस पर भारत की जांच संस्थाओं और न्यायिक अधिकरिता से पहले ही निर्णय हो चुका है। लेकिन बीबीसी ने स्वतंत्र प्रेस, न्यायिक व्यवस्था और प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार के वैधता पर ही सवाल खड़े किए हैं।
मुख्यमंत्री ने बीबीसी पर हमला बोलते हुए कहा, बीबीसी ने स्वयं, स्वेक्षा से जज के रूप में खुद ही को नियुक्त कर लिया और स्वयं को जूरी के रूप में प्रस्तुत करने का काम किया है। जो ब्रिटेन की कार्यप्रणाली से भी मेल नहीं खाता है। बीबीसी ने इस मामले की सामाजिक, राजनीतिक, संवेदनशीलता की घोर अनदेखी की है। डॉक्यूमेंट्री ने मुखौटा खोजी पत्रकारिता का लगा रखा है। जबकि वास्तव में यह भारत की संप्रभुता पर गैरजिम्मेदार और गंभीर हमला है। जिसका उद्देश्य भारत के संविधान को कमजोर करना है।
विधानसभा में भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन द्वारा प्रस्तुत किए गए संकल्प में बीबीसी की उस डॉक्यूमेंट्री का जिक्र किया गया जिसमें वर्ष 2002 की घटनाओं का जिक्र है। जैन ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को आपत्तिजनक बताया और घटनाओं को गलत तरीके से दिखाने का भी जिक्र किया। इस संकल्प में यह भी कहा गया कि बीबीसी ने स्वयं को अपीलीय प्राधिकरण के रूप में दिखाया और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक विवेक को भी पीछे छोड़ दिया। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीधे तौर पर अदालत की अवमानना है क्योंकि इसमें अदालत के तर्कों और क्षमताओं की घोर अनदेखी की गई है।