शिमला। अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के कोविड कर्मचारी मुख्यमंत्री से मिलने की आस में शुक्रवार रात्रि और शनिवार दिनभर सचिवालय के बाहर इंतजार करते रहे। शनिवार देर शाम तक भी मुख्यमंत्री से इनकी भेंट नहीं हो सकी है। छोटे बच्चों के साथ आए कोविड कर्मचारियों ने सचिवालय परिसर में ही रात गुजारी, जहां पर एक तिरपाल पर मुख्यमंत्री से मिलने की आस में कोविड कर्मचारी बैठे रहे। शनिवार देर शाम तक भी मुख्यमंत्री से उनकी भेंट नहीं हो सकी है, जबकि सचिवालय पहुंचे सैंकड़ों कर्मचारियों में से एक पुरुष व महिला बेहोश हो गए, जिन्होंने तुरंत आई.जी.एम.सी. उपचार के लिए लाया गया, जहां से डाक्टरों ने उन्हें घर भेज दिया है। शुक्रवार रात्रि करीब 9.30 बजे कोविड वारियर्ज ने डी.सी. शिमला से भी भेंट की है। जानकारी के अनुसार राज्य में करीब 1800 कोविड कर्मचारी तैनात हैं। 2020 से लेकर हर तीन माह बाद वे सड़कों पर आ जाते हैं।
स्थायी नीति न होने के कारण कोविड वारियर्ज अब आंदोलन की राह पर उतर आए हैं। हालांकि अभी 30 सितम्बर तक उनकी सेवाओं को बढ़ाया गया है, लेकिन इस बार इस शर्त के साथ उनकी सेवाएं बढ़ाई गई हंै कि इस अवधि के बाद उनकी सेवाएं स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। अपनी सेवाओं से निकाले जाने से परेशान कोविड वारियर्ज शुक्रवार से सचिवालय के बाहर धरने पर बैठे हैं और मुख्यमंत्री से मिलने की चाह में अड़े हुए है। कोविड वारियर्ज ने साफ किया है कि अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, जो गलत है। कोविड मरीजों के इलाज के दौरान उन्होंने पूरी ईमानदारी से काम किया है। कोविड वारियर्ज जिला किन्नौर की प्रधान सुंदर नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए कोविड वारियर्ज सचिवालय में दो दिनों से इंतजार कर रहे हंै। शुक्रवार की रात बड़ी मुश्किल से गुजारी है और मुख्यमंत्री से मिलकर ही वे लोग वापस जाएंगे। शनिवार को दिनभर उन्हें आश्वासन मिलता रहा कि उनसे मुख्यमंत्री की भेंट होगी। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा के कोविड के दौर में रखे गए इन वर्कर्ज के साथ प्रदेश सरकार खिलवाड़ कर रही है। ऐसे दौर में जब कोई भी आगे आने को तैयार नहीं था तो इन कोविड वर्करों ने अपनी सेवाएं पूरी निष्ठा के साथ दी हैं। सरकार को इनके लिए पॉलिसी बनानी चाहिए और इनकी मांगें पूरी करनी चाहिए।