मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो प्रमुख को दी बधाई
बेंगलुरु: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ को बधाई दी।
साउथ पोल को ही क्यों चुना?
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवर पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग के साथ ही बुधवार को भारत ने इतिहास रच दिया। ऐसा करने वाला पहला देश बन बया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) के प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया है कि इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को ही क्यों चुना। इसरो चीफ के जवाब भविष्य में चांद पर मानव जीवन की कल्पना को और बल दे रहा है।
उन्होंने कहा, "हम दक्षिणी ध्रुव के करीब पहुंच गए हैं, जो लगभग 70 डिग्री पर है। दक्षिणी ध्रुव पर सूरज की कम रोशनी पहुंचती है। इसका एक विशिष्ट लाभ है। इस हिस्से में और भी अधिक वैज्ञानिक सामग्री होने की संभावना है। चंद्रमा पर काम करने वाले वैज्ञानिकों ने दक्षिणी ध्रुव में बहुत रुचि दिखाई है, क्योंकि यहां मानव जाकर अपना उपनिवेश बनाना चाहते हैं और फिर उससे आगे की यात्रा करना चाहता है। हम जिसकी तलाश कर रहे हैं, उसके दक्षिणी ध्रुव में होने की क्षमता है।"
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, ''मन पर क्या बीती, इसका वर्णन करना बहुत कठिन है। यह खुशी हो सकती है, यह उपलब्धि का सार हो सकता है और योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देना हो सकता है।''
आदित्य एल-1 और गगनयान मिशन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ''सूर्य के लिए आदित्य मिशन सितंबर में लॉन्च के लिए तैयार हो रहा है। गगनयान पर अभी भी काम चल रहा है। हम क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए संभवतः सितंबर या अक्टूबर के अंत तक एक मिशन करेंगे, जिसके बाद कई परीक्षण मिशन होंगे जब तक कि हम संभवतः 2025 तक पहला मानव मिशन नहीं कर लेते।''
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने प्रज्ञान रोवर और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रज्ञान रोवर के पास दो उपकरण हैं, दोनों चंद्रमा पर मौलिक संरचना के निष्कर्षों के साथ-साथ रसायनिक संरचनाओं से संबंधित हैं। इसके अलावा, यह सतह पर चक्कर लगाएगा। हम एक रोबोटिक पथ नियोजन अभ्यास भी करेंगे जो हमारे लिए भविष्य के अन्वेषणों के लिए महत्वपूर्ण है।