नई दिल्ली: पिछले कुछ समय से एक बार फिर से एलएसी पर चीनी हिमाकत के बढ़ते सिलसिले को देखते हुए देश की सैन्य क्षमता को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी कड़ी में एस 400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम को चीन की सीमा पर सक्रिय करने की योजना पर लगातार काम हो रहा है। जानकारी के मुताबिक दूसरे एस 400 स्क्वाड्रन की डिलिवरी रूस से जहाजों और विमानों के जरिए चल रही है। जल्द ही इस डिफेंस सिस्टम को चीन की सीमा पर तैनात किया जाएगा।
दरअसल, चीन लगातार लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक लगी सीमा पर अपने फाइटर जेट के जरिए हिमाकत करने की कोशिश कर रहा है। चीन के ये लड़ाकू विमान अक्सर अब एलएसी के पास 10 किलोमीटर के नो फ्लाई जोन के इलाके में आ रहे हैं। इसका जवाब देने के लिए भारत चीन की सीमा पर एस 400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती करेगा। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस से पहली बार एस-400 सिस्टम की दूसरी खेप आ रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि इसकी खेप जल्द वहां तैनात होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक इन एस 400 मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती से भारतीय वायुसेना चीन के फाइटर जेट, रणनीतिक बॉम्बर, मिसाइलों और ड्रोन विमानों की न केवल बहुत दूर से पहचान कर सकेगी बल्कि उन्हें पलक झपकते ही तबाह कर सकेगी। इससे पहले रूस ने एस-400 की पहली खेप भेजी थी जिसे हजारों कंटेनर की मदद से दिसंबर महीने में भारत पहुंचाया गया था। इस एस-400 सिस्टम को पश्चिमोत्तर सीमा पर तैनात किया गया है ताकि चीन और पाकिस्तान दोनों से होने वाले हवाई खतरों से निपटा जा सके।
बता दें कि चीन की तरफ से फाइटर जेट की तैनाती और उनकी उड़ान खासतौर से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में काफी बढ़ गई है। हर दिन दो से तीन बार चीनी फाइटर जेट हर दिन भारतीय सीमा की ओर आ रहे हैं। यहां तक कि एक चीनी फाइटर जेट तो 28 जून को पूर्वी लद्दाख के एक विवादित इलाके में भारतीय सैनिकों की चौकियों के ऊपर से भी गुजरा था। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने भी अपने फाइटर जेट को उड़ाए थे। भारत ने इस पूरे मामले को चीन के साथ उठाया था।
हालांकि इस रूसी मिसाइल सिस्टम S-400 की आपूर्ति को लेकर भारत और अमेरिका के संबंधों की चर्चा जोरों पर हैं। रूस यूक्रेन के बीच भारत और अमेरिका के संबधों में थोड़ा खिंचाव देखा गया है। ऐसे में S-400 मिसाइल को लेकर दोनों देशों के संबंधों में दरार का अंदेशा लगाया जा रहा है। अमेरिका, भारत-रूस के इस रक्षा डील से शुरू से खफा रहा है। लेकिन अमेरिकी संसद में भारत समर्थक एक लाबी इस रक्षा डील का समर्थन कर रही है।