बच्चों ने बड़ों को राह दिखाते हुए टीकाकरण को लेकर फैली अफवाह को किया दूर
बच्चे भी बड़ों को सही राह दिखा सकते हैं।
कहते हैं कि बच्चे भी बड़ों को सही राह दिखा सकते हैं। मध्य प्रदेश में विदिशा जिले के गंजबासौदा तहसील के सहरिया जनजाति बाहुल्य इलाके में बच्चे यही कर रहे हैं। यहां बच्चे इलाके में कोरोना के टीकाकरण को लेकर फैली अफवाह को न सिर्फ दूर कर रहे हैं बल्कि लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। इसका सुखद परिणाम भी देखने को मिला है और कुछ ही दिन में एक ही गांव के करीब सौ लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवा ली है।
कुछ दिन पहले स्वास्थ्यकर्मियों के पीछे लाठी लेकर दौड़े थे गांव वाले
यह संख्या भले ही अभी कम है, लेकिन जिस इलाके में लोग स्वास्थ्य अमले को मारने दौड़ पड़ते हों, वहां यह संख्या भी बड़ी उम्मीद जगाती है। दरअसल, गंजबासौदा तहसील के इन गांवों में टीकाकरण को लेकर अफवाह फैल गई थी कि इससे बुखार आता है और फिर मौत हो जाती है। ग्राम साहबा में पिछले माह अप्रैल में एक चौकीदार की कोरोना से मौत हो गई थी। इसके बाद जब स्वास्थ्य अमला गांव पहुंचा तो ग्रामीण लाठियां लेकर उनके पीछे दौड़ पड़े थे। इसी के बाद गांव का कोई भी व्यक्ति टीकाकरण के लिए तैयार नहीं हुआ। ऐसे में ग्राम साहबा के बाल पंचायत से जुड़े 16 वर्षीय सुरजीत लोधी आगे आए।
विदिशा जिले के साहबा गांव में टीकाकरण को लेकर फैली थी अफवाह
सामाजिक कार्यकर्ता श्रीकांत यादव बताते हैं कि सुरजीत ने शुरुआत घर से ही की और अपने 65 वर्षीय दादाजी वीरसिंह लोधी को टीका लगवाने के लिए तैयार किया। उन्हें टीका लगवाने के बाद कोई दिक्कत नहीं हुई। सुरजीत बताते हैं कि वह अपने दादाजी के साथ लोगों के घर-घर गए। उन्हें बताया कि कोरोना का टीका लगने के बाद संक्रमण जानलेवा नहीं होगा बल्कि महामारी से लड़ने में ही मदद मिलेगी। इसमें उन्हें अन्य बच्चों का भी साथ मिला। इसके बाद साहबा गांव में करीब सौ लोगों ने टीका लगवाया। इस गांव की महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता शाहीन बताती हैं कि उनके क्षेत्र में लोग पहले कोरोना का टीका लगाने से साफ मना कर रहे थे, लेकिन बच्चों के प्रयास से अब गांवों में बदलाव आने लगा है।
अन्य गांवों में भी बच्चे सक्रिय
श्रीकांत यादव बताते हैं कि इस क्षेत्र में ये बाल पंचायतें नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के चिल्ड्रन फाउंडेशन की ओर से बाल मित्र ग्राम परियोजना के तहत गठित की गई हैं। इनमें 10 से 17 वर्ष तक के करीब सौ बच्चे शामिल हैं। आदिवासी बाहुल्य नहारिया, शंकरगढ़, लमन्या, भिलाय में भी बाल पंचायत के सदस्य ग्रामीणों को टीकाकरण के प्रति प्रेरित कर रहे हैं।
विदिशा के जिला टीकाकरण अधिकारी डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि जिले के कई गांवों में बच्चों की जागरूकता से और उनके प्रयास से टीकाकरण को लेकर फैली भ्रांतियां दूर करने में सफलता मिली है।