झाबुआ। झाबुआ में एक एसडीएम जैसे अधिकारी की अश्लील हरकतों ने संपूर्ण तंत्र को शर्मसार कर डाला है। इस घटना ने यह भी साबित कर दिया है कि अपनी कानूनी शक्तियों का जवाबदार किस तरह से दुरुपयोग कर रहे हैं। कन्या शिक्षा में फिसड्डी बने हुए इस आदिवासी जिले में आदिवासी परिवारों ने अपनी कन्याओं को सरकारी आश्रम में सिर्फ इसलिए रखा क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि लड़कियां पढ़-लिखकर उनके सपनों को पूरा करेंगी। परिवार के हालात बदलेंगे।
जब झाबुआ एसडीएम सुनील कुमार झा पर यह आरोप लगा कि रेत माफियाओं से एक दलाल के माध्यम से अवैध वसूली की जा रही है तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। वजह साफ है कि इस तरह का घटनाक्रम पहला व अंतिम नहीं था। मगर अब जो रविवार को हुआ है। वह अत्यंत ही चिंताजनक है। रविवार शाम चार बजे के बाद एसडीएम झा की 43 घंटे बीतते-बीतते जिंदगी ही बदल गई। नाबालिग कन्याओं की शिकायत के अनुसार झा ने कन्या आश्रम जाकर कमरा नंबर पांच में अनर्गल वार्तालाप किया, बैड टच किया और जो अनुचित व्यवहार किया, वह घोर आपत्तिजनक की श्रेणी में आता है।
आश्रम अधीक्षिका ने छात्राओं की इस पीड़ा को तत्काल वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाया। कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने सोमवार को इंदौर कमिश्नर को पत्र भेजते हुए झा को निलंबित करने की अनुशंसा भेज दी। मंगलवार को निलंबन का आदेश जारी हो गया। इस बीच सोमवार की रात को उप पुलिस अधीक्षक वर्षा सोलंकी ने पीड़ित के बयान ले लिए। सुबह होते-होते एसडीएम की गिरफ्तारी तय हो गई। सूत्रों के अनुसार, झा को झाबुआ की बजाय कालीदेवी थाने ले जाकर रोक लिया गया। इस पूरे मामले का सराहनीय पहलू यह है कि कलेक्टर हुड्डा व पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने इस गंभीर मसले पर वह सभी कार्रवाई की, जो अपेक्षित थी। इसकी भनक तक एसडीएम को नहीं लग पाई। कुशलता से इस पूरे मामले को कलेक्टर व एसपी ने संभाला। नतीजा यह रहा कि घटना के मात्र 43 घंटे बाद ही झा जेल तक पहुंच गए।