अजीत के बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के तहत मामला दर्ज, फर्जी प्रमाणपत्र मामले में खुली पोल

ये है पूरा मामला

Update: 2021-08-16 16:29 GMT

हरियाणा के सोनीपत (Sonipat) जिले में एक शख्स द्वारा दिव्यांग होने का फर्जी प्रमाणपत्र (Fake certificate) बनाकर 13 साल तक पेंशन लेने का मामला सामने आया है. गोहाना सदर थाने की पुलिस ने रभड़ा गांव के अजीत पुत्र राम चंद्र के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया. आरोप है कि वह 10 फीसदी ही दिव्यांग है, पर फर्जी दस्तावेजों से 70 प्रतिशत दिव्यांगता का प्रमाणपत्र बनवा कर पूरे 13 साल तक दिव्यांग पेंशन हासिल करता रहा.

आरोपी का गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस गवर्नमेंट महिला मेडिकल कॉलेज में मेडिकल परीक्षण भी किया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है. शिकायतकर्ता राम निवास पुत्र जीत राम भी रभड़ा गांव का रहने वाला है. उसके अनुसार अजीत ने 1999 में अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया. यह ड्राइविंग लाइसेंस गोहाना के एसडीएम कार्यालय से बनवाया गया. उसके बाद आरोपी ने सोनीपत के सीएमओ कार्यालय से 17 फरवरी 2003 को 70 फीसदी दिव्यांग होने का प्रमाणपत्र बनवाया. यह प्रमाणपत्र 26 मार्च 2003 को प्राप्त करने के बाद वह दिव्यांग पेंशन हर महीने पाने लगा.

राम निवास का दावा है कि 26 सितम्बर 2013 को जब अजीत ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस का नवीकरण करवाया, तब हुए मेडिकल परीक्षण में चिकित्सक द्वारा दिए गए फिटनेस प्रमाणपत्र के आधार पर ही उसका लाइसेंस रिन्यू किया गया. तब तक वह नकली दिव्यांग बन कर पूरे 13 साल तक दिव्यांग पेंशन प्राप्त करता रहा. इसी साल 18 मार्च को गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस राजकीय महिला मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में आरोपित अजीत का मेडिकल परीक्षण किया गया. इस परीक्षण में उसमें दिव्यांगता का प्रतिशत केवल 10 ही पाया गया. आरोपित अजीत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है.

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