ममता बनर्जी और विनीत गोयल के कॉल रिकॉर्ड की हो जांच : संबित पात्रा

Update: 2024-09-06 12:14 GMT
दिल्ली delhi news। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना की पीड़िता के पिता के आरोपों का हवाला देते हुए ममता बनर्जी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना के बाद के 72 घंटों के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कोलकाता के कमिश्नर विनीत गोयल के बीच हुई बातचीत के कॉल रिकॉर्ड की जांच करवाने की भी मांग की ताकि यह पता लगे कि इस दौरान कितनी बार बात हुई है और क्या-क्या निर्देश दिए गए। 
भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कोलकाता के कमिश्नर विनीत गोयल अपने पद पर बने रहेंगे, तब तक निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इसलिए भाजपा दोनों से अपने-अपने पदों को छोड़ने की मांग करती है। Sambit Patra

पात्रा ने कहा कि आज पीड़िता के पिता के सवालों को उठाने की जरूरत है। वो ऐसा पिता हैं, जिनको न्याय नहीं मिला है। वो पिता, भाजपा और देश की जनता भी जानना चाहती है कि ऐसी क्या वजह थी कि ममता सरकार ने पीड़िता के माता-पिता को रिश्वत देने की कोशिश की। ममता सरकार ने डीसी के माध्यम से पीड़िता के माता-पिता को रिश्वत देने की कोशिश की और वह भी उस समय पर जब पीड़िता का शव घर में ही था। कोई भी रिश्वत देने का प्रयास तभी करता है, जब वह भ्रष्ट होता है और सच्चाई को छुपाना चाहता है। पिता के आरोपों का हवाला देते हुए पात्रा ने कहा कि पहले उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या की। लेकिन, वे अपनी बेटी का शव देखने के लिए भी साढ़े तीन घंटे इंतजार करते रहे। पुलिस उनको अंदर नहीं जाने देती है, जबकि उस कमरे में कई लोग आ-जा रहे थे। वहां हर कोई सबकुछ जानता था, इसके बावजूद पश्चिम बंगाल पुलिस प्रशासन की धृष्टता को देखिए कि उन्होंने मौत के कारण में अननैचुरल डेथ लिखा। उन्हें एक खाली और सादे कागज पर हस्ताक्षर करने को कहा गया। पोस्टमार्टम करने में देरी क्यों की गई? अस्पताल ने एफआईआर क्यों नहीं कराई?

पात्रा ने आगे पूछा कि शाम को माता-पिता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत को रात में एफआईआर के तौर पर दर्ज किया गया। जबरदस्ती करते हुए जल्दबाजी में अंतिम संस्कार क्यों कराया गया? किसी भी रिश्तेदार को डेड बॉडी के साथ एम्बुलेंस में नहीं जाने दिया गया, बल्कि उनकी बजाय वहां के टीएमसी के एक स्थानीय नेता को गार्जियन के तौर पर एम्बुलेंस में बैठा दिया गया। इंदिरा मुखर्जी और बंगाल सरकार के अन्य अधिकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जो तथ्य रख रहे हैं, वो सरासर झूठ है।

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