इस पेड़ को लगाने से किसान का करोड़पति बनना तय है! पढ़े पूरी रिपोर्ट

Update: 2021-08-13 08:19 GMT

हमारा देश किसानों का देश है. समय के साथ-साथ आज खेतीबाड़ी के तौर-तरीके भी बदल गए हैं. किसान खेती की नये-नये तकनीक सीखकर लाखों करोड़ों कमाने में लगे हैं. ऐसा ही कुछ कर गुजरने की चाहत पौधा प्रेमी के नाम से जाने जानेवाले चक्रधरपुर के चन्द्रशेखर प्रधान में है. चन्द्रशेखर प्रधान ना सिर्फ एक कुशल किसान हैं बल्कि उन्होंने खेतीबाड़ी के अपने आधुनिक तकनीकी कौशल ज्ञान को बांटकर कई किसानों की जिंदगी बदल दी है.

इन दिनों चक्रधरपुर के देवगांव निवासी चन्द्रशेखर प्रधान किसानों को करोड़पति बनाने के लिए उन्हें महोगनी पेड़ लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. साउथ अफ्रीका में पाए जाने वाले इस पेड़ की कीमत लाखों में है. ना सिर्फ इसकी कीमत ज्यादा है, बल्कि इस पेड़ में औषधीय गुण भी हैं और इसकी लकड़ी कई मायनों में गुणों से परिपूर्ण है. खाली पड़ी जमीन पर सैकड़ों पेड़ लगाकर 12 साल सींचने के बाद किसान का करोड़पति बनना तय है.
महोगनी एक इमारती लकड़ी है, जिससे फर्नीचर, जहाज, संगीत वाद्य, बंदूक का कोंदा आदि तक बनाए जाते हैं. साथ ही इसकी लकड़ी पानी से खराब नहीं होती है, इसलिए इससे मेड़ भी बनाए जाते हैं. महोगनी एक औषधीय पौधा है. इसके पत्तों का उपयोग कर कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी, मधुमेह सहित अन्य रोगों से मुक्ति पा सकते हैं.
यह पौधा 5 साल में एक बार बीज देता है. एक पौधे से 5 किलो बीज मिलते हैं. इसके बीज एक हजार रुपए प्रतिकिलो तक बिकते हैं. वहीं लकड़ी होलसेल में दो हजार से 2200 रुपए प्रति घन फीट बिकती है. छोटा सा पौधा लगाने के 12 साल बाद पेड़ की शक्ल में इसकी ऊंचाई 70 से 90 फीट तक हो जाती है.
माई फ्यूचर लाइफ संस्था से जुड़कर चन्द्रशेखर प्रधान किसानों को बेहतर आमदनी के लिए महोगनी पेड़ लगाने के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं. संस्था के द्वारा अबतक पश्चिम और पूर्वी सिंहभूम जिले में 42 हजार महोगनी पेड़ लगाये गए हैं. संस्था का लक्ष्य 21 लाख महोगनी पेड़ लगाने का है. चन्द्रशेखर प्रधान ने खुद अपनी 18 डिसमिल जमीन पर 148 महोगनी पेड़ लगाए हैं.
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रीन झारखंड बनाने का सपना देखने वाले कुशल कृषक सीएस प्रधान ने अपनी 23 डिसमिल जमीन पर महोगनी पेड़ के अलावा आम, अमरूद, नारियल, केला, अनार और लीची फलों के पौधे भी लगाए हैं. सीएस प्रधान वर्ष 2004 से आधुनिक तकनीक से खेती करने की ट्रेनिंग किसानों को दे रहे हैं.
उनका यही प्रयास रहता है कि वे किसानों को बेहतर कृषि के गुर सिखाकर उनकी आमदनी को बढ़ाएं. सीएस प्रधान ने अबतक चार राज्यों के किसानों को तकनीकी खेती का प्रशिक्षण दिया है. सीएस प्रधान की मानें तो आधुनिकता के इस दौर में खेतीबाड़ी बदल चुकी है, किसानों को भी परंपरागत खेती को छोड़ तकनीकी खेती को अपनाना होगा तभी उनको सही मायने में लाभ मिलेगा और उनकी आमदनी तेजी से बढ़ेगी.


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