रिज पर स्टाल सजने से बिफरे कारोबारी

Update: 2024-05-12 10:45 GMT
शिमला। रिज पर कारोबारियों के विरोध के बाद फिर से स्टॉल सजा दिए गए हैं। इन स्टॉल लगाने का शिमला के कारोबारियों ने कड़ा विरोध जताया है। यहां तक कि कारोबारियों ने कहा है कि नगर निगम सहित प्रदेश सरकार तक हमने आग्रह किया कि यहां पर सिर्फ सरकारी समारोह की स्टॉल ही लगाए या फिर ऐसे प्रोडक्ट्स के स्टाल लगाए जो हैंडलूम यानी हाथ से बनाए हों। इसके साथ ही शहद और और प्राचित खेती के पदार्थों के स्टॉल ही लगाए। इसके अलावा कोई भी स्टाल यहां पर नहीं लगने चाहिए। कारोबारियों ने नगर निगम को सुझाव भी दिया था कि यहां पर ऐसी एग्जिविशन लगाई जानी चाहिए, जिससे पूरे देश के लोग देखने आएं और इसमें भाग भी लें, ताकि शिमला आने वाले पर्यटकों के लिए यह एग्जिविशन आर्कषण का केंद्र बनें, लेकिन नगर निगम ने कारोबारियों का सुझाव भी नजरअंदाज कर दिया है और उनके आग्रह को भी नहीं माना जा रहा है। हालांकि नगर निगम के हाउस में मेयर सुरेंद्र चौहान ने तय किया था कि यहां पर कोई ग्रोसरी और कपड़ों की दुकानें नहीं लगेगी। यदि लगाई गई तो नगर निगम उनका सामान जब्त कर लेगा। बावजूद इस आदेश के बाद फिर से यहां पर ग्रोसरी की दुकाने सजाई गई हैं। बता दें कि ग्रोसरी शॉपस में खाने पीने की वस्तुओं के साथ-साथ रोजाना इस्तेमाल में लाई जाने वाली वस्तुएं आती हैं।

इसमें नमकीन से लेकर रसोई का सारा सामान आता है। इन दिन रिज के पद्मदेव कॉम्प्लेक्स पर जो स्टॉल लगाए गए हैं। इसमें रसोई के साथ साथ नमकीन की दुकानें भी खुली हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि नगर निगम अपने ही बनाए गए कानून को भूलकर सिर्फ कमाई के साधन देख कर शहर के कारोबारियों को परेशान कर रहा है। इस पर अब कारोबारी भडक़ गए हैं। लोअर बाजार के कारोबारी एसोसिएशन के साथ-साथ लक्कड़ बाजार के बिजनेस मैन एसोसिएशन भी एक साथ हो गई हैं। दोनों व्यपार मंडलों का कहना है कि प्रदेश सरकार कारोबारियों को नाराज कर रहा है और आग्रह को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। जो सरासर गलत है। वहीं, अब तो कारोबारियों ने नगर निगम सहित प्रदेश सरकार को भी चेतावनी दी है कि यदि अब भी इन स्टॉल को यहां से नहीं हटाया जाता है तो शहर के सभी कारोबारी एक होकर प्रदर्शन पर उतर जाएंगे। शिमला शहर के कारोबारी पर्यटकों पर ही निर्भर है। खासकर लक्कड़ बाजार से सबसे ज्यादा सेल तभी होती है जब शिमला में पर्यटकों की तदाद अच्छी होती है, लेकिन पिछले दो से तीन सालों में लक्कड़ बाजार के कारोबारियों को घाटे का सौदा ही करना पड़ता है। स्थित यहां तक है कि कारोबारियों को अपने कर्मचारियों का वेतन तक निकालना मुश्किल हो गया है। कई कारोबारियों ने अपने कर्मचारी तक कम कर दिए हैं।
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