तमिलनाडु। वित्त मंत्री थंगम थेनारासु सोमवार को वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करेंगे। इस बार के बजट का शीर्षक 'बाधाओं को पार कर विकास की ओर आगे बढ़ें' है। सत्तारूढ़ डीएमके का लक्ष्य संसदीय चुनाव में सभी 39 सीटों पर जीत हासिल करना है। अब यह देखना होगा कि यह बजट लोकप्रिय होता है की नहीं। डीएमके जब से सत्ता में आई है, तब से उसकी ओर से प्रदेश में कई लोकलुभावने वादे किए गए हैं, जिसे लागू भी किया गया है।
बता दें कि प्रदेश सरकार की ओर से 'कलैगनर मगलिर उरीमाई थित्तम' योजना शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत 1.5 करोड़ महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए देने का प्रावधान है। वहीं, आगामी दिनों में राज्य सरकार की ओर से बार-बार होने वाले खर्चों की भरपाई के लिए कई लाभकारी उपाय भी किए गए। राज्य सरकार के इस बजट में खाका तैयार किया गया है कि कैसे भविष्य में होने वाले खर्चों की भरपाई के लिए आय में वृद्धि की जा सकें। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने बजट सत्र के पहले दिन अपने पारंपरिक भाषण में कहा था कि राज्य बाढ़ से संबंधित आपदाओं के बाद अपने वित्तीय संसाधनों पर गंभीर दबाव से जूझ रहा था और जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद संसाधन जुटाने की इसकी क्षमता बाधित हो गई थी।
बजट के अनुसार, राज्य का अपना कर राजस्व (एसओटीआर), जो तमिलनाडु के कुल राजस्व का 78.9 प्रतिशत है, 2023-24 में 1,81,182 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था, जो 2022-23 से 20.61 प्रतिशत की वृद्धि है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 (दिसंबर तक) में अब तक एसओटीआर 1,09,708.78 करोड़ रहा है, जो बजट अनुमान का लगभग 60 प्रतिशत है।
एसओटीआर के घटकों में राज्य माल और सेवा कर (एसजीएसटी), वाहनों पर कर, स्टांप और पंजीकरण शुल्क से राजस्व, पेट्रोल और डीजल और शराब पर वैट, राज्य उत्पाद शुल्क (जो शराब राजस्व को प्रतिबिंबित करें)। राज्य ने 1 फरवरी से शराब पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है और यह बाढ़ से संबंधित विनाश के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत होगा। फ्लैटों के पंजीकरण शुल्क में किए गए बदलाव से तमिलनाडु के खजाने को बड़े पैमाने पर भरने में भी मदद मिलेगी। हालांकि, इन राजस्व-अर्जन उपायों के साथ भी बाढ़ के प्रभाव और कई दक्षिणी जिलों में हुए विनाश के कारण, तमिलनाडु के 2023-24 के लिए अपने एसओटीआर लक्ष्य से कम होने की संभावना है।