Atul Subhash: मृतक के भाई ने कहा, FIR दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने अभी तक आरोपी परिवार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की
बेंगलुरू: बेंगलुरू में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी मामले में भाई की शिकायत पर बेंगलुरू पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में मृतक के भाई विकास मोदी ने कहा है कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
विकास मोदी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने उस फैमली के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्होंने पुलिस से सवाल किया कि अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? कुछ दिन पहले एक महिला ने आत्महत्या की थी। उसने कोई भी सुसाइड नोट नहीं भी छोड़ा था। फिर भी पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसके बॉयफ्रेंड को गिरफ्तार कर लिया था।
उसके कुछ दिन के बाद एक लड़ने आत्महत्या की थी। उसने 20 मिनट का वीडियो बनाया था और तीन पेज का सुसाइड नोट भी छोड़ा था। उसने उसमें लिखा था कि उसकी एक्स मंगेतर उसका उत्पीड़न कर रही है। उसके बाद भी दो महीने तक एफआईआर दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी नहीं की गई। तो मैं यही कहना चाहता हूं कि हमने भाई की पत्नी और उसकी फैमिली के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। एक सवाल के जवाब में विकास मोदी ने कहा कि हमें इंसाफ चाहिए।
इसके बाद अतुल सुभाष के भाई विकास मोदी ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि मुझे या हमारे पापा को भाई के बारे में थोड़ा भी पता चलता तो हम उन्हें बचाकर निकाल लेते। उनके दिमाग में जो कुछ भी चल रहा था हम उसको हम खत्म करने की कोशिश करते। लेकिन उन्होंने हमारे साथ कुछ शेयर नहीं किया, क्योंकि उन्होंने सोचा होगा कि मेरे मरने के बाद ही चीजें ठीक हो सकती हैं। वो हमेशा चाहता था कि मेरे बुढ़े माता-पिता को कोई कष्ट ना हो। कभी मेरे भाई को कोई दिक्कत ना आए।
विकास मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मेरे भाई ने बोला कि अगर मुझे इंसाफ मिले तो मेरी अस्थियों को गंगा में बहा देना और नहीं मिले तो कोर्ट के आगे गटर में डाल देना। वह सिस्टम से तंग हो गए थे। उन्होंने गुजारिश की कि सुप्रीम कोर्ट या राष्ट्रपति इस केस में संज्ञान लें। कौन सही है, कौन गलत है इसे पहचानने की कोशिश करें। इस केस में जो भी गुनहगार है उसे कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए। हम लॉजिकल एंड तक लड़ेंगे।
अतुल सुभाष की आत्महत्या के मामले मृतक के मामा सुशील जलान ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि हमें कभी ऐसा लगा नहीं कि वो इस तरह से सुसाइड कर सकता है। रात में करीब 10 बजे अतुल ने हमारी बहन और बहनोई से बात की, अपने भाई से बात की। हमें ऐसा महसूस नहीं हुआ कि वो इस तरह का बड़ा कदम उठा सकता है। 40 पन्नों का जो सुसाइड नोट बनाया गया है ये एक दो दिन का बात नहीं हो सकती। अतुल जब अप्रैल में कोर्ट आकर गया था, तब उसे बोला गया था कि तू सुसाइड क्यों नहीं कर लेता। जब से उसके दिमाग में ये सेट हो गया कि मैं ही इन सब का कारण हूं।
एक सावल के जवाब में उन्होंने कहा कि उसने परिवार या हमारे साथ कोई बात शेयर नहीं की। उसने रात के डेढ़ बजे मेल किया और उसके बाद ही इन सब के बारे में लोगों को पता चला। कोर्ट ने सुभाष को बच्चे की परवरिश के लिए 40 हजार रुपये महीना देने के लिए कहा था, जिस पर उसने सहमति जताई थी। फिर कोर्ट की तरफ से रकम को 80 हजार रुपये किया गया। सेटलमेंट की बात भी चल रही थी। सेटलमेंट के लिए बात 50 लाख से शुरू होकर तीन करोड़ तक पहुंच गई थी। हम और परिवार के लोग चाहते हैं कोर्ट हमें न्याय दे और जो दोषी है उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
सेव इंडियन फैमिलीज फाउंडेशन के प्रवक्ता गौरी कृष्णा ने आईएएनएस को बताया कि हम इस केस को अंत तक लड़ेंगे। अतुल हमारे संगठन का हिस्सा था, उसने भगत सिंह की तरह अपनी जान कुर्बान कर दी। अतुल सिस्टम बदलना चाहता था। अतुल ने अपने सुसाइड नोट में मांग की है कि उसके बच्चे को दादा-दादी को सौंप दिया जाना चाहिए। इसलिए हम इसके लिए लड़ रहे हैं। हम उस न्याय के लिए लड़ रहे हैं जो उसके लिए उचित है। उस पर 9 झूठे मामले दर्ज किए गए हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में जौनपुर के सॉफ्टवेयर इंजीनियर के आत्महत्या मामले में डीसीपी शिवकुमार गुनारे ने कहा कि बेंगलुरू में अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली। उसके भाई ने मराठाहल्ली थाने में शिकायत दी है कि उनके भाई के खिलाफ उत्तर प्रदेश में कई मामले चल रहे हैं। उसकी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों ने इन मामलों को निपटाने के लिए पैसे की मांग की थी। उन्होंने अतुल सुभाष परेशान किया, जिससे तंग आकर उसने आत्महत्या कर ली। हमने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 3(5) (जब दो या ज्यादा लोग शामिल हों तो सामूहिक जिम्मेदारी बनती है) के तहत मामला दर्ज किया है।