ब्रिक्स देशों का रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट डेटा शेयरिंग के लिए समझौता, ISRO ने दी जानकारी

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) ने जानकारी दी है।

Update: 2021-08-19 10:03 GMT

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) ने जानकारी दी है कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (BRICS) ने रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट डेटा शेयरिंग में सहयोग के लिए एक एग्रीमेंट पर साइन किया है. इसरो ने बताया कि बुधवार को जिस पैक्ट पर सहमति व्यक्त की गई है, उसके जरिए ब्रिक्स देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों को रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स का एक वर्चुअल समूह बनाने में मदद मिलेगी. इसके जरिए ब्रिक्स देशों के जमीनी स्टेशन को डेटा मिलेगा.

बेंगलुरु मुख्यालय वाली अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में बताया कि यह पहल वैश्विक जलवायु परिवर्तन, प्रमुख आपदाओं और पर्यावरण संरक्षण जैसी मानव जाति के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने में ब्रिक्स अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने में योगदान देगा. इस समझौते पर भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत हस्ताक्षर किए गए हैं.
इस समझौते पर इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में सचिव के सिवन, चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के प्रशासक झांग केजियन, दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वलनाथन मुनसामी, ब्राजीलियाई अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष कार्लोस ऑगस्टो टेक्सेरा डी मौरा और रूस के राज्य अंतरिक्ष निगम रोस्कोस्मोस के महानिदेशक दिमित्री रोगोजिन ने हस्ताक्षर किए हैं.
भारत की अध्यक्षता के तहत हुए समझौते पर हस्ताक्षर
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि यह मानवता के समक्ष मौजूद वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन, बड़ी आपदाओं और पर्यावरण संरक्षण जैसी चुनौतियों का सामना करने के क्षेत्र में ब्रिक्स अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने में योगदान देगा. उसने बताया कि भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस मौके पर ब्रिक्स में भारत के शेरपा (प्रतिनिधि) और विदेश मंत्रालय के सचिव (कांसुलर, पासपोर्ट, वीजा और प्रवासी भारतीय मामले) संजय भट्टाचार्य उपस्थित थे.
भट्टाचार्य ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'अंतरिक्ष एजेंसियों के प्रमुखों ने ब्रिक्स उपग्रह समूह के समझौते पर आज हस्ताक्षर किए गए, जो मील का पत्थर है. इससे सतत विकास लक्ष्यों में रेखांकित विकास संबंधी एवं समाजिक उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष डेटा का उपयोग और आपसी सहयोग बढ़ेगा.'
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