Lucknow. लखनऊ। राजधानी लखनऊ में ट्रामा सेंटर के सामने राजकीय बालिका विद्यालय बाउंड्री के पास आते-जाते हर राहगीर को फुटपाथ पर पड़ीं इंजेक्शन की शीशियां और इस्तेमाल किए हुए सिरिंज नजर आते हैं। जो नहीं नजर आता है, वो है गरीब और मजदूर के वेष में अपना धंधा चलाने वाले लोग। जिस तरह से यहां पर खुलेआम नशे का धंधा चलता है, उससे अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि इसके पीछे कई रसूखदारों के हाथ हैं। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर के सामने और राजकीय बालिका विद्यालय बाउंड्री के पास खुलेआम हो रहा का कारोबार चल रहा है। यहां दिन भर नशेड़ियों का जमावड़ा रहता है। इनकी आड़ में सफेदफोशों के ड्रग्स का कारोबार चल रहा है। अमर उजाला ने जब इसकी पड़ताल की तो यह सच्चाई सामने आई है। प्रेस रिपोट ने नशेबाजों के इस ठौर का बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान देखा कि सामान्य से कपड़े पहने हुए एक लड़की आकर नशेबाजों के बीच आकर बैठक गई। ड्रग्स
मौके पर मौजूद महिलाओं ने उसे चारों तरफ से घेर लिया। इसके बाद झुंड बनाकर वहां इंजेक्शन से नशा दिया गया। नशेबाजों का यह अड्डा सफेदपोशों का भी पसंदीदा स्थान है। करीब तीन घंटे तक यहां ठहरने के बाद देखा गया कि अच्छे कपड़े पहने कुछ युवक वहां चक्कर काट रहे हैं। इनमें से कुछ नशेबाजों के पास कुछ सेकंड ठहरकर चलते बने जबकि कई निगाह रखने की आशंका के बाद चलते बने। करने पर पता चला कि एविल के इंजेक्शन की कीमत 23 से 25 रुपये है। वहीं प्रति ग्राम स्मैक की कीमत 700 से 1000 रुपये है। फुटकर और पुड़िया में लेने पर इसकी कीमत 1500 रुपये है। इनको मिलाकर नशे वाले इंजेक्शन की एक डोज बनाई जाती है। एविल में स्मैक का पाउडर मिलाकर तैयार डोज 150 से 200 रुपये में बेची जा रही है। केजीएयू परिसर के आसपास जहर बेचने वाले तस्करों की संख्या 60 से अधिक है। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। यहां हर दिन 500 से अधिक लोगों को जहर की डोज लगाई जाती है। प्रति व्यक्ति से 150 से 200 रुपये लिये जाते हैं। एक ड्रग्स बेचने वाले ने बताया कि इंजेक्शन लगाने की ट्रेनिंग ड्राक्टर ही देते हैं। इसके लिए उन्हें पैसे दिए जाते हैं। पुलिस नए व्यक्ति की तलाश में रहती है।