फंदा फंसा होने के बावजूद शावकों को जन्म देने वाली बाघिन के उपचार के लिए विशेषज्ञों का मंथन शुरू
देहरादून। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में रामनगर के पास स्थित जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में पेट में फंदा धंसा होने के बावजूद तीन शावकों को जन्म देने वाली बाघिन के उपचार के लिए विशेषज्ञों के एक पैनल ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इस संबंध में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल ने कॉर्बेट के ढेला बचाव एवं पुनर्वास केंद्र में रह रही 8 वर्षीय बाघिन के स्वास्थ्य का जायजा लिया। कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के निदेशक धीरज पांडेय ने बताया कि निरीक्षण में बाघिन स्वस्थ पाई गई। उन्होंने साथ ही कहा कि उसके चिकित्सकीय उपचार के संबंध में पैनल निर्णय लेगा और इसकी रिपोर्ट उत्तराखंड के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजी जाएगी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष अप्रैल में ‘कैमरा ट्रैप' की तस्वीरों में बाघिन के शरीर में फंदा फंसे होने की बात सामने आई थी, जिसके बाद उसे ढेला केंद्र लाया गया। बाघिन ने रविवार को शावकों को जन्म दिया, जिसके बाद उसके उपचार के लिए यह विशेषज्ञ पैनल गठित किया गया है। इस पैनल में राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य प्रदीप मलिक, गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय में प्राध्यापक ए के दास और भारतीय वन्यजीव संस्थान में वरिष्ठ प्राध्यापक पराग निगम शामिल हैं। शावकों के बारे में पूछे जाने पर निदेशक ने कहा कि कैद रखे जाने के दौरान बाघिन का व्यवहार काफी आक्रामक होने के चलते उसे 'जीरो डिस्टरबेंस' में रखा गया है और इस दौरान कोई फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी भी नहीं की जा रही है।