सीमा पर तनाव! चीन बॉर्डर पर बन रही सेला सुरंग, जानिए भारत के लिए क्यों है अहम

Update: 2021-10-14 04:57 GMT

नई दिल्ली: आज से अरुणाचल प्रदेश में बहुचर्चित और भारत के सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाने वाली सेला सुरंग के आखिरी चरण का काम शुरू होने जा रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ऑनलाइन माध्यम से इस परियोजना के अंतिम चरण को हरी झंडी दिखाएंगे और सुरंग में एक विस्फोट के साथ ही अंतिम चरण का काम तेजी से शुरू हो जाएगा.

सेला टनल का अंतिम चरण
जानकारी के लिए बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने 2018-19 वाले बजट में सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की थी. तब कहा गया था कि 13,700 फीट की ऊंचाई पर सेला सुरंग बनाई जाएगी. अब देखते ही देखते वो परियोजना अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2022 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा.
क्या है खासियत?
सेला सुरंग की अहमियत को इसी बात से समझा जा सकता है कि इस टनल के पूरा बनने के बाद तवांग के जरिए चीन सीमा तक की दूरी 10 किलोमीटर तक घट जाएगी. इसके अलावा असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग में सेना के जो चार कोर मुख्यालय स्थित हैं, उनके बीच की दूरी भी करीब एक घंटे कम हो जाएगी. कहा तो ये भी जा रहा है कि इस सुरंग की वजह से बोमडिला और तवांग के बीच 171 किलोमीटर दूरी काफी सुलभ बन जाएगी और हर मौसम में कम समय में वहां जाया जा सकेगा.
सेना के लिए कितना फायदा?
सेला सुरंग को काफी अहम इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि इसके जरिए अब तवांग में सेना की आवाजाही काफी आसान हो जाएगी. जिस समय चीन संग रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं, लगातार चीन की तरफ से गीदड़ धमकियां दी जा रही हैं, ऐसे में इस टनल का जल्द पूरा होना जरूरी हो जाता है. इस परियोजना में राष्ट्रीय राजमार्ग तक एकल मार्ग को दोहरे मार्ग में परिवर्तित करना शामिल है. इसमें सेला-छबरेला रिज के जरिए 475 मीटर और 1790 मीटर लंबी दो सुरंगों को नूरांग की ओर मौजूदा बालीपरा-चौदुर-तवांग रोड से जोड़ने की योजना है.
ऐसा होते ही खराब मौसम या बर्फबारी के दौरान भी सेना की आवाजाही प्रभावित नहीं होगी और कम समय में एक जगह से दूसरी जगह जाया जा सकेगा.


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