राजस्थान में ब्लैक फंगस का कहर, 477 मामले में कोविड हिस्ट्री एक भी नहीं

प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस के कुल 3,471 मामले सामने आए थे।

Update: 2021-07-28 11:47 GMT

जयपुर: प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस के कुल 3,471 मामले सामने आए थे। इस दौरान यह थ्यौरी भी निकाली गई कि म्यूकोर्मिकोसिस के मामलों में अचानक आए उछाल की वजह कोविड के उपचार के दौरान स्टेरॉयड के अंधाधुंध उपयोग था, जिससे कई लोगों की मधुमेह भी अनियंत्रित हुई। साथ ही कई लोग ब्लैक फंगस के शिकार हुए, लेकिन अब पता चला है कि प्रदेश में आए 3,471 मामलों में से 477 ऐसे है, जिनमें कोई भी कोविड हिस्ट्री नहीं थी। पिछले तीन महीनों में दर्ज इन केसेज का यह 14 प्रतिशत है।

सूचना मिलने के बाद डॉक्टर भी हैरान
इस जानकारी के सामने आने के बाद डॉक्टरों भी हैरान है। वे अब कोविड हिस्ट्री के बिना हुए ब्लैक फंगस केसेज के पीछे का कारण जानने की कोशिश कर रहे हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपिल और कंट्रोलर डॉ सुधीर भंडारी का कहना है कि
इस मामले में गुजरात और अन्य राज्यों में सहयोगी डॉक्टरों से भी मैं बातचीत कर रहा हूं, ताकि सही जानकारी और अध्ययन किया जाए। डॉक्टर भंडारी का कहना है कि म्यूकोर्मिकोसिस एक अवसरवादी संक्रमण है, जो रोगियों की इम्यूनिटी कमजोर होने पर हमला करता है, लेकिन बिना कोविड हिस्ट्री वाले इस केसेज को जानने के लिए गहन अध्ययन किया जाना जरूरी है, तभी किसी निष्कर्ष पर आ सकते हैं।
एक साल में मुश्किल से 4-5 मामले थे कोविड से पहले
इस मामले में ईएनटी डॉ तरुण ओझा ने कहना है कि " राजस्थान की बात की जाए, तो कोरोना महामारी से पहले एक साल में मुश्किल से 4-5 मामले दर्ज किए जाते थे, जो काफी दुर्लभ थे।" लेकिन कोविड के बाद जहां अचानक ब्लैक फंगस के रोगियों की संख्या बढ़ी है। वहीं चौंकाने वाले तथ्थ भी सामने आ रहे हैं। डॉक्टर ओझा ने कहा कि ब्लैक फंगस के होने का प्रमुख कारण शुगर लेवल बढ़ना ही है।
563 रोगी ठीक हो चुके
ईएनटी विभाग के प्रोफेसर डॉ. पवन सिंघल ने बताया कि म्यूकोर्मिकोसिस के 3,471 मामलों में से 2,582 का इलाज चल रहा है, जबकि 563 ठीक हो चुके हैं। अब तक 178 लोगों की मौत हो चुकी है । वहीं 148 ने बिना चिकित्सकीय सलाह के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
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