कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस भी परेशानी का सबब बन रहा है. राजस्थान भी ब्लैक फंगस से अछूता नहीं है. सूबे में ब्लैक फंगस के मामला अब राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गया है. हाई कोर्ट ने राज्य के स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख सचिवों को नोटिस भेजा है. नोटिस का जवाब 28 जून तक देना है.
राजस्थान हाई कोर्ट में वकील सिद्धार्थ जैन ने एक जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका में यह भी जिक्र किया गया है कि राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है.याचिकाकर्ता ने राज्य में ब्लैक फंगस को लेकर तैयारियों पर सवाल पूछा है. उन्होंने यह भी दावा किया है कि ब्लैक फंगस संक्रमण में इलाज के लिए इस्तेमाल में आने वाले इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि ब्लैक फंगस के चलते लोगों के अंग खराब हो रहे हैं.सरकार की तरफ से ऐसे मरीजों के लिए क्या मुआवजा तय किया है.उन्होंने राज्य सरकार से ब्लैक फंग्स मरीजों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है.
बता दें कि हाल ही में राजस्थान के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोविड और ब्लैक फंगस से संबंधित विभिन्न जांच की दरें निर्धारित करने का फैसला लिया.
उन्होंने बताया था कि निर्धारित दरों से अधिक राशि वसूलने वालों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं. हाल ही में गहलोत सरकार ने घोषणा की है कि राजस्थान में ब्लैक फंगस का इलाज 'चिरंजीवी योजना' के तहत मुफ्त किया जाएगा. ब्लैक फंगस के मरीजों को कोविड की तरह फ्री इलाज मिलेगा.