दक्षिण भारत में भाजपा का सूपड़ा साफ!

Update: 2023-05-11 06:03 GMT

राजनीतिक संवाददाता

कर्नाटक एग्जिट पोल: बीजेपी के हाथ से निकलने के संकेत

भूपेश के राम वनगमन पथ मार्ग और माता कौशल्या मंदिर निर्माण ने मोदी के बजरंगबली वाले कैंपेन को धो दिया

नई दिल्ली (ए/नेट डेस्क)। कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों के लिए वोटिंग हो चुकी है। और अब 13 मई को आने वाले नतीजों का इंतजार है। लेकिन इस बार चुनाव में कर्नाटक की जनता ने रिकॉर्ड बना दिया है, जो पिछली बार से भी ज्यादा है।

चुनाव आयोग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, कर्नाटक में इस बार 72.67 फीसदी वोटिंग हुई है। अभी ये वोटिंग प्रतिशत और बढऩे की उम्मीद है, क्योंकि इसमें पोस्टल बैलेट और होम वोटिंग का आंकड़ा शामिल नहीं है। वहीं, 2018 के चुनाव में 72.44 फीसदी और 2013 में 71.83 फीसदी वोट पड़े थे। इस लिहाज से देखें तो वोटिंग फीसदी में मामूली इजाफा हुआ है।

कर्नाटक में सबसे ज्यादा 90.93 फीसदी वोटिंग मंड्या जिले की मेलुकोटे विधानसभा सीट पर हुई तो सबसे कम मतदान 47.43 फीसदी बेंगलुरु की सीवी रमन नगर सीट पर हुई। कर्नाटक में भाजपा से सत्ता छीनना कांग्रेस के लिए मनोबल बढ़ाने वाला होगा। देश की सबसे पुरानी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले खुद के भाग्य को जगाने की पूरी कोशिश में है। कर्नाटक विजय उसके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं होगी। राज्य में जीत सुनिश्चित करके, पार्टी उत्तर-पूर्वी राज्यों में हालिया हार के बाद वापसी करना चाहती है। इसके अलावा, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस साल के अंत में कई अहम राज्यों में भी चुनाव है।

कर्नाटक को दक्षिण का प्रवेश द्वारा कहा जाता है। कर्नाटक इकलौता दक्षिण भारतीय राज्य है जहां भाजपा सत्ता में है। अगर यहां से सत्ता गई तो उसके लिए दक्षिण के दरवाजे बंद होने जैसा होगा। क्योंकि लोकसभा चुनावों से पहले दक्षिण के केवल एक ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और वह है तेलंगाना, जहां भाजपा ने पिछली बार मात्र एक सीट जीती थी। अगर कांग्रेस कर्नाटक जीतती है तो आने वाले राज्य चुनावों पर भी उसका असर दिखाई दे सकता है। खासतौर से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्य हैं जहां चुनाव होने हैं। इनमें से दो राज्यों में कांग्रेस सत्ता में है।

क्या कहते हैं कर्नाटक विधानसभा एग्जिट पोल : कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को मतदान के बाद आए ज्यादातर चुनाव बाद सर्वेक्षणों (एग्जिट पोल) में कांग्रेस के सबसे बड़े दल के तौर पर उभरने का अनुमान लगाया गया है। जी न्यूज और मैट्रिज एग्जिट पोल में कांग्रेस को 41 प्रतिशत मतों के साथ 103 से 118 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इसके मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी को 36 प्रतिशत मतों के साथ 79 से 94 सीटें मिलने का अनुमान है तथा जनता दल (सेक्युलर) को 17 प्रतिशत मतों के साथ 25 से 33 सीटें मिल सकती हैं।

टीवी 9 और पोलस्ट्रेट की ओर से किए गए चुनाव बाद सर्वेक्षण में कहा गया है कि कांग्रेस को 99 से 109 सीटें मिल सकती हैं जबकि भाजपा को 88 से 98 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। इस एग्जिट पोल में यह अनुमान भी लगाया गया है कि जद (एस) को 21 से 26 सीटें मिल सकती हैं।

एबीपी न्यूज और सी वोटर के एग्जिट पोल में संभावना जताई गई है कि कांग्रेस को 100 से 112 सीटें मिल सकती हैं तथा भाजपा को 83 से 95 और जद (एस) को 21 से 29 सीटें हासिल हो सकती हैं। इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के साथ 122-140 के बीच सीट मिलने का अनुमान जताया है वहीं भाजपा को 62-80 के बीच सीटें दी हैं। न्यूज 24-टुडेज चाणक्य ने भी कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत के साथ 120 सीटें मिलने की संभावना जताई है, इसने भाजपा को 92 सीटें मिलने की बात कही है।

कांग्रेस ने इन पूर्वानुमानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ''जैसे जैसे एक्जिट पोल के नतीजे आ रहे हैं यह और स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस पार्टी धमाकेदार जीत की राह पर है।'

त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

कर्नाटक विधानसभा की सभी 224 सीटों के लिए हुआ मतदान बुधवार शाम छह बजे समाप्त हो गया और निर्वाचन आयोग ने कहा कि रात 10 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक 71।77 फीसदी मतदान हुआ। अंतिम आंकड़े बृहस्पतिवार तक पता चल पाएंगे। कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की जनता दल (सेक्युलर) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है।

कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई

कर्नाटक में कांग्रेस ने आम तौर पर स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और इसका अभियान भी शुरू में इसके राज्य के नेताओं द्वारा चलाया गया। हालांकि, इसके केंद्रीय नेताओं जैसे ्रढ्ढष्टष्ट अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने बाद में एंट्री की। यह चुनाव एक तरह से सबसे पुरानी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई भी है। कन्नडिगा मल्लिकार्जुन खडग़े खुद कर्नाटक के कलाबुरगी जिले से आते हैं। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

अब 365 दिन की राजनीति करेगी कांग्रेस, कर्नाटक चुनाव से राहुल-प्रियंका ने दिए संकेत

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में तमाम उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। हार-जीत का फैसला शनिवार को होगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए यह चुनाव अहम है। आगामी लोकसभा चुनाव पर कर्नाटक चुनाव प्रचार का असर पडऩा लाजिमी है। पर भाजपा के मुकाबले यह चुनाव कांग्रेस के लिए कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव कितना अहम है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े राज्य में डेरा डाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश के बाद शायद कर्नाटक पहला राज्य है, जहां गांधी परिवार के तीनों सदस्य राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी ने चुनाव प्रचार किया है। स्थानीय नेताओं ने भी प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। पिछले कुछ वर्षों में हुए कई राज्यों के चुनाव के मुकाबले कर्नाटक में कांग्रेस ने आक्रामक प्रचार किया है। वहीं, भाजपा रक्षात्मक रही। चुनाव घोषणा पत्र में बजरंग दल के जिक्र को भाजपा ने मुद्दा बनाने में देर नहीं की, पर कांग्रेस आक्रामक रुख अपनाए रही। यह पहली बार है कि पार्टी ने गृहमंत्री के खिलाफ थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई। वर्ष 2014 और उसके बाद लगातार भाजपा भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर कांग्रेस पर निशाना साधती रही है। कर्नाटक ऐसा पहला चुनाव है, जहां कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर भाजपा को कटघरे में खड़ा किया है। इतना ही नहीं, पार्टी ने प्रधानमंत्री के कांग्रेस पर गाली देने के आरोप और बजरंग बली को मुद्दा बनाने पर पलटवार में भी देर नहीं की। कर्नाटक चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने रैली और रोड शो के साथ मतदाताओं से सीधा संवाद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। राहुल-प्रियंका ने समाज के हर तबके तक चुनावी वादों को पहुंचाने के लिए कई नए तरीके अपनाए। इनमें राहुल गांधी का महिलाओं के साथ सफर करना और प्रियंका गांधी का भाषण रोककर एक व्यक्ति की बात सुनना शामिल है।

भाजपा की तरह राजनीति

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस काफी हद तक भाजपा की तरह राजनीति करती दिखाई दी। भाजपा की तरफ से उछाले गए मुद्दों का जवाब देने के बजाय कांग्रेस सिर्फ अपनी बात रखती दिखी। इसके साथ कर्नाटक में चुनाव प्रचार खत्म होते ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने तेलंगाना में युवा संघर्ष रैली को संबोधित कर कांग्रेस की चुनावी रणनीति में बदलाव के संकेत दे दिए।

इंदिरा अम्मा

तेलंगाना में युवा संघर्ष रैली को संबोधित करते हुए प्रियंका गांधी ने इंदिरा अम्मा का जिक्र किया। उन्होंने इंदिरा अम्मा का जिक्र कर तेलंगाना से कर्नाटक के लोगों को संदेश देने की कोशिश की। क्योंकि, कर्नाटक में इंदिरा गांधी को इंदिरा अम्मा कहते हैं। इसके साथ उन्होंने यह यकीन भी दिलाया कि इंदिरा अम्मा की तरह वह भी झूठे वादे नहीं करती हैं।

365 दिन की राजनीति

कांग्रेस पर अमूमन यह आरोप लगते रहे हैं कि वह सिर्फ चुनाव के वक्त प्रचार करती है, इसके बाद नेता नजर नहीं आते। पर कर्नाटक के फौरन बाद प्रियंका गांधी के तेलंगाना में प्रचार करने और राहुल गांधी के राजस्थान पहुंचकर पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में हिस्सा लेने से पार्टी 365 दिन की राजनीति करती दिख रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, कर्नाटक परिणाम के बाद पार्टी चुनावी राज्यों में प्रचार तेज करेगी।

इसलिए जरूरी है जीत

कांग्रेस के लिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत बेहद जरूरी है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े का यह गृह राज्य है। राज्य में पार्टी की जीत के वर्ष 2024 आम चुनावों से पहले सांकेतिक मायने भी हैं। कांग्रेस को आम चुनाव से पहले समान विचारधारा वाली पार्टियों का गठबंधन बनाने में मदद मिलेगी। जीत के बाद पार्टी की भूमिका अग्रणी हो सकती है।

राहुल गांधी: चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी एक बस में सफर करते हैं। सफर के दौरान वह महिलाओं से मुफ्त बस और पार्टी की चुनावी गारंटियों के बारे में चर्चा कर वोट देने की अपील करते हैं। बेंगलुरु में राहुल गांधी फूड डिलीवरी करने वाले लोगों के साथ एक रेस्टोरेंट में चाय पीते हुए उनसे चर्चा करते हैं। इसके बाद फूड डिलीवरी बॉय के साथ स्कूटर पर अपने होटल जाते हैं। चुनावी जनसभा के लिए जाते वक्त राहुल गांधी एक बस स्टॉप पर कुछ कॉलेज छात्रों को देखकर रुकते हैं। उसके पास बने रेस्टोरेंट में काफी पीते हुए छात्रों से पांच गारंटियों पर चर्चा करते हैं।

प्रियंका गांधी वाड्रा: मैसुरु में डोसा बनाना सीखा। इसके साथ महिलाओं से बातचीत करते हुए वादा किया है कि सरकार बनने के बाद वह भी उनके साथ सार्वजनिक परिवहन की बस में बैठकर मुफ्त यात्रा करेंगी। बीदर रैली के दौरान प्रियंका गांधी के भाषण के वक्त एक शख्स उन्हें नाम लेकर अपने पास बुलाता है। प्रियंका फौरन अपना भाषण रोक मंच से उतरकर उस शख्स के पास उसकी बात सुनने पहुंच जाती है। धारवाड़ में रैली के लिए जाते वक्त प्रियंका गांधी अचानक एक सड़क पर बने ढाबे पर रुक जाती हैं। वह वहां काली चाय का लुत्फ लेती हैं और लोगों से कांग्रेस के चुनावी वादों का जिक्र करती है।

दि एक्जिट पोल परिणाम में तब्दील हो जाता है तो यह सीएम भूपेश बघेल के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनीतिक सूझबूझ और गुड गवर्नेश और योजनाओं के क्रियान्वयन को अब सारा देश लोहा मान लिया है । सीएम भूपेश बघेल का हिमाचल में शानदार प्रदर्शन के बाद कर्नाटक में सामने आए एक्जिट पोल से कांग्रेसियों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। जहां चार एजेंसियों ने कांग्रेस की सरकार बनने की रूझान को दर्शाया है। इस रूझान से विरोधियों को मुंह की खानी पड़ रही है, वहीं सीएम भूपेश का कद लगातार राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ता जा रहा है। कर्नाटक के मुख्य रणनीतिकार भूपेश बघेल थे जिन्होंने पांच ऐसे वादे घोषणा पत्र में शामिल किए जिसे कर्नाटक की जनता ने हाथों-हाथ लिया और भाजपा के चुनावी कैम्पियन की हवा निकाल दी। जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी का तूफानी रोड शो, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का 15 दिनों तक डेरा डालकर दिन रात पसीना बहाना सहित पूरे केंद्रीय मंत्रियों के भाजपा के पक्ष में किए गए धुआंधार चुनाव प्रचार कांग्रेस के घोषणा पत्र के आगे धराशायी हो गए । ताजा एक्जिट पोल में चार एजेंसियों ने कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार और एक में भाजपा की सरकार बनाने का आंकड़ा पेश किया है।

भूपेश बघेल ने कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान वहां की जनता को छत्तीसगढ़ में सरकार के कामकाज और गरीब, किसान, बेरोजगार और महिलाओं को आत्मनिर्भर करने की दिशा में किए जा रहे कामों को गिनाकर जनता का विश्वास हासिल किया। कर्नाटक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के पीएफआई और बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का विरोध और बजरंगबली के भक्तों का हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ ने कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचने के रास्ते खोल दिए है। बजरंगबली सत्य के साथ चलते है, झूठ और आडंबर को बजरंगबली बर्दाश्त नहीं करते है। जिसका हश्र कर्नाटक में देखने को मिला है। भूपेश बघेल ने कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को कर्नाटक की जनता में वोट के माध्यम से जवाब दे दिया है। अब 13 तारीख का इंतजार है जब भूपेश का विजयरथ हिमाचल से चलकर कर्नाटक होते हुए वापस छत्तीसगढ़ में विजयी पताका लहराने वाले है।

कर्नाटक में भाजपा ने कांग्रेस को हिन्दू विरोधी और बजरंगबली और राम के नाम पर पटकनी देने की काफी कोशिश की, लेकिन सीएम भूपेश ने भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या का भव्य मंदिर बनाकर भाजपा के मंसूबे को ध्वस्त कर दिया। पूरे कर्नाटक में पीएम मोदी हनुमान बनकर चुनाव को पक्ष में करने की कोशिश की लेकिन वहां वे कामयाब नहीं हुए। प्रखर हिन्दूवादी नेता प्रवीण तोगडिय़ा ने चुनाव से ठीक पहले सीएम भूपेश की गौसेवा और रामवन गमन पथ निर्माण की तारीफ कर भाजपा के कैंपेन को भोथरा कर दिया। और भूपेश बघेल ने साबित कर दिया कि वे सही मायने में हिन्दुत्व के पक्षधर हैं। जो सभी जातिधर्म के लोगों का सम्मान करते है।

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