झारखंड में मैदान-ए-जंग में उतर चुके हैं भाजपा के योद्धा, इंडिया गठबंधन में अब तक उलझे हैं तार

Update: 2024-03-27 09:18 GMT
रांची: झारखंड में एक तरफ जहां भारतीय जनता पार्टी ने राज्य की 14 में से अपने हिस्से की 13 सीटों पर “योद्धाओं”को मैदान-ए-जंग में उतार दिया है, वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में न तो सीटों की शेयरिंग पर तस्वीर साफ हुई है और न ही प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है। भारतीय जनता पार्टी ने 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी 25 दिन पहले दो मार्च को ही घोषित कर दिए थे।
इन प्रत्याशियों ने पहले दौर का चुनावी जनसंपर्क अभियान पूरा कर लिया है। बाकी दो सीटों पर भी बीते 24 मार्च को प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया गया है और वे भी चुनाव प्रचार अभियान में उतर गए हैं।
इस बीच दुमका में पहले प्रत्याशी घोषित किए गए सुनील सोरेन को ड्रॉप कर उनकी जगह सीता सोरेन को उम्मीदवार बनाया गया है। 14 में से एक गिरिडीह की सीट सहयोगी पार्टी आजसू के लिए छोड़ी गई है, जहां से मौजूदा सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी की उम्मीदवारी फिर से तय मानी जा रही है।
राज्य की 14 सीटों में से पांच सीट अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासी और एक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। बाकी सामान्य सीटों पर टिकटों के बंटवारे में भाजपा ने जातीय फैक्टर का पूरा ख्याल रखा है। सबसे ज्यादा तवज्जो ओबीसी को दी गई है, क्योंकि राज्य में सबसे ज्यादा आबादी इसी तबके की है। इस तबके से पांच लोगों को प्रत्याशी बनाया गया है। राज्य में ओबीसी की तीन सबसे प्रभावी जातियां वैश्य, कुर्मी और यादव हैं। पार्टी ने वैश्य समुदाय से तीन, हजारीबाग सीट पर मनीष जायसवाल, धनबाद सीट पर ढुल्लू महतो और रांची में संजय सेठ को उम्मीदवार बनाया गया है। जमशेदपुर में विद्युत वरण महतो को दुबारा प्रत्याशी बनाकर कुर्मी जाति और कोडरमा सीट पर अन्नपूर्णा यादव की उम्मीदवारी बरकरार रखते हुए यादव जाति को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
दो सीटों पर सवर्ण जातियों से उम्मीदवार बनाए गए हैं। इनमें ब्राह्मण जाति से निशिकांत दुबे को गोड्डा और भूमिहार जाति से कालीचरण सिंह को चतरा से प्रत्याशी बनाया गया है। पार्टी ने आदिवासियों के लिए आरक्षित पांच में से सिर्फ एक सीट खूंटी में अर्जुन मुंडा को लगातार दूसरी बार प्रत्याशी बनाया है, जबकि चार सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया है।
लोहरदगा में लगातार तीन टर्म जीत दर्ज करने वाले सुदर्शन भगत की जगह समीर उरांव और दुमका में सुनील सोरेन की जगह सीता सोरेन को लाया गया है। इन दोनों सीटों पर एंटी इन्कंबेंसी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी बदले गए हैं।
पिछले चुनाव में एसटी के लिए आरक्षित सिंहभूम सीट पर पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुआ और राजमहल सीट पर हेमलाल मुर्मू हार गए थे। इनमें से लक्ष्मण गिलुआ का निधन हो चुका है। उनकी जगह सिंहभूम सीट पर गीता कोड़ा को प्रत्याशी बनाया गया है। गीता कोड़ा ने यहां पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। अब वह कांग्रेस छोड़ चुकी हैं और भाजपा की ओर से चुनावी मैदान में उतरी हैं।
राजमहल सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी रहे हेमलाल मुर्मू अब झारखंड मुक्ति मोर्चा में हैं। राज्य में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित एकमात्र सीट पलामू में पार्टी ने मौजूदा सांसद बीडी राम को लगातार तीसरी बार प्रत्याशी बनाया है।
इधर, दूसरे खेमे यानी इंडिया गठबंधन की बात करें तो सीटों की शेयरिंग का अब तक ऐलान नहीं हुआ है। लोहरदगा, जमशेदपुर, पलामू और चतरा सीटों पर गठबंधन के घटक दलों की परस्पर दावेदारी की वजह से पेंच फंस रहा है। लोहरदगा और जमशेदपुर को कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट मानती है, लेकिन इस बार इन दोनों सीटों पर झामुमो की प्रबल दावेदारी है।
इसी तरह राजद की ओर से दो सीटों पलामू और चतरा पर दावेदारी की गई है, लेकिन कांग्रेस-झामुमो उसे इन दोनों में से कोई एक सीट ही देना चाहते हैं। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा है कि एक-दो दिनों में सीट शेयरिंग के साथ-साथ प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए जाएंगे। झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि गठबंधन में शीर्ष स्तर पर निर्णय हो चुका है और हर सीट पर भाजपा के खिलाफ हमारी मजबूत मोर्चेबंदी है।
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