पश्चिम बंगाल फॉर्मूले के जरिए कर्नाटक की भरपाई तेलंगाना में करना चाहती है भाजपा
नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद दक्षिण भारत के कई राज्य अभी भी भाजपा के लिए अभेद्य किले बने हुए हैं। दक्षिण भारत में अब तक एकमात्र राज्य कर्नाटक में भाजपा सत्ता में हुआ करती थी लेकिन इसी वर्ष मई में हुए विधान सभा चुनाव में उसे कर्नाटक में हार कर सत्ता से बाहर होना पड़ा। इसलिए पार्टी दक्षिण भारत के दूसरे राज्य तेलंगाना पर और भी ज्यादा फोकस कर रही है।
2018 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा को तेलंगाना में 6.98 प्रतिशत के लगभग वोट तो मिला था जो कि चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के 3.51 प्रतिशत और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को मिले 2.71 प्रतिशत की तुलना में कहीं ज्यादा था, लेकिन उसकी सीटों की संख्या इन दोनों पार्टियों से कम थी।
ओवैसी के 7 और नायडू के 2 विधायक चुनाव जीत कर आए थे लेकिन बड़े पैमाने पर चुनाव लड़ने और पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भाजपा के खाते में सिर्फ एक ही सीट आई थी। इसलिए भाजपा इस बार पश्चिम बंगाल में मिली चमत्कारिक जीत (3 से 77 विधान सभा सीट) के फॉर्मूले को तेलंगाना में भी इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है।
बंगाल के त्रीस्तरीय फॉर्मूले के तहत भाजपा ने जहां एक तरफ राज्य की केसीआर सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर मोर्चा खोल रखा है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी केंद्रीय मंत्री, सांसदों और प्रदेश से आने वाले दिग्गज नेताओं को भी विधान सभा के चुनाव में उतार कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करने जा रही है।
इसके साथ ही भाजपा राज्य के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और असदुद्दीन ओवैसी के संबंधों का हवाला देते हुए राज्य के हिंदू वोटरों को भी लुभाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा लगातार तेलंगाना का दौरा कर राज्य की बीआरएस सरकार पर निशाना साध रहे हैं। नड्डा शुक्रवार को भी तेलंगाना के दौरे पर ही थे जहां उन्होंने तेलंगाना भाजपा स्टेट काउंसिल की बैठक को संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला।
नड्डा ने भ्रष्टाचार को लेकर मोर्चा खोलते हुए कहा कि बीआरएस का मतलब -भ्रष्टाचार रिश्वत समिति है और यह भी एक परिवार की ही पार्टी है। उन्होंने कहा कि परिवारवादी पार्टियों के बीच भाजपा ही एकमात्र राष्ट्रीय पार्टी बन कर उभरी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी मंगलवार को राज्य में एक रैली को संबोधित करते हुए यह खुलासा भी कर दिया कि कैसे केसीआर एनडीए गठबंधन में शामिल होने के लिए उनसे मिलने आए थे लेकिन उन्होंने मना कर दिया।
भाजपा ने राज्य में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री, सांसदों और प्रदेश से आने वाले दिग्गज नेताओं को भी विधान सभा के चुनाव में उतारने का फैसला किया है। तेलंगाना से पार्टी के एक सांसद जी. किशन रेड्डी हैं जो वर्तमान में एक साथ दो पदों -- प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री का दायित्व संभाल रहे हैं।
तेलंगाना से पार्टी के एक अन्य लोक सभा सांसद बी. संजय कुमार हैं जिन्हें हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा कर पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, भाजपा जी.किशन रेड्डी और बी. संजय कुमार सहित अपने चारों सांसदों को विधान सभा चुनाव के मैदान में उतार सकती है। वहीं तीसरी तरफ भाजपा तेलंगाना के वोटरों को यह राजनीतिक संदेश देने का प्रयास भी कर रही है कि राज्य में सिर्फ के. चंद्रशेखर राव और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ही नहीं मिली हुई है बल्कि कांग्रेस भी इन्ही के साथ है।
भाजपा ने तो सोशल मीडिया पर ' सेव तेलंगाना' के हैशटैग के साथ राज्य में एक अभियान भी चला रखा है जिसके जरिए पार्टी राज्य के मतदाताओं को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि "वोट फॉर कांग्रेस = सीट फॉर बीआरएस = एमआईएम रूल" अर्थात कांग्रेस को वोट देने का मतलब बीआरएस को सीट देना है और ऐसा करने का अर्थ राज्य में ओवैसी की पार्टी के शासन को लाना होगा।