माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे बीजेपी विधायक, कांग्रेसियों ने लगाया आरोप

Update: 2022-05-24 05:19 GMT

असम| असम सरकार ने हाल में मदरसों को सरकारी अनुदान देने पर रोक लगाते हुए सरकारी खर्चे पर मदरसे बंद करने के फैसले और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के मदरसों के अस्तित्व को लेकर दिए बयान का असर राजस्थान में भी देखने को मिला. मदरसों को बंद करने की मांग राजस्थान से उठने के बाद सियासी पारा चढ़ गया है. राजस्थान में वसुंधरा सरकार में शिक्षा मंत्री रहे और अजमेर से बीजेपी विधायक वासुदेव देवनानी ने ट्वीट कर कहा है कि असम में ही क्यों, राजस्थान में भी मदरसे बंद क्यों नहीं हो सकते ? देवनानी ने कहा कि सरकारी मदद हासिल कर मदरसे सिर्फ एक धर्म विशेष को शिक्षा कैसे दे सकते हैं. बीजेपी विधायक ने आगे कहा कि भारत में हर छात्र को धर्मनिरपेक्ष वैज्ञानिक शिक्षा मिलनी चाहिए और अगर माता-पिता को जरुरी लगता है तो वह घर पर धार्मिक शिक्षा दे सकते हैं.

बता दें कि असम सरकार के मदरसों के लेकर फैसले के बाद अब राज्यों में सरकारी अनुदान से चलने वाले मदरसों को बंद करने की मांग उठ रही है. वहीं हाल में एक कार्यक्रम में बीजेपी नेताओं के मदरसों को लेकर दिए बयान भी चर्चा में है.

पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि संविधान में सेक्युलर शब्द जोड़कर स्कूल के पाठ्यक्रम से "ग" गणेश ग निकाल कर "ग" से गमला का कर दिया गया तो फिर देश के मदरसों में कुरान और हदीस क्यों? देवनानी ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश में सबके लिए प्राथमिक शिक्षा स्कूल है फिर मदरसों में सरकारी अनुदान से धार्मिक शिक्षा क्यों दी जाती है? देवनानी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि, फ्रांस ने गत वर्ष इस्लामी आतंकवाद से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति वाली बिल संसद में पेश कर दी है जिसके तहत मस्जिद, मदरसा और घर में पढ़ाई नहीं की जा सकती है और 3 साल के बच्चों को स्कूल भेजना अनिवार्य है. विधायक ने कहा कि स्कूल के नियम से चलना होगा, इस्लामिक या धार्मिक पहचान वाला ड्रेस कोड भी खत्म हो गया है.

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