पटना: बिहार की महागठबंधन सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरा नहीं करने को भाजपा मुद्दा बनाने में जुटी है। अब भाजपा सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रही है। राज्यसभा सांसद और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, वह धोखा साबित हुआ। कैबिनेट की 50 बैठकों के बाद एक भी युवा को नौकरी नहीं मिली।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजद ने अपने घोषणा पत्र में "समान काम के लिए समान वेतन" का वादा किया था, वह धरा रह गया। इस वादे को ताक पर रखकर महागठबंधन सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए ऐसी नियमावली बनायी कि अब एक विद्यालय में एक ही विषय को पढ़ाने वाले तीन शिक्षकों के तीन वेतनमान होंगे।
उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए और टीईटी, एसटीईटी पास जिन अभ्यर्थियों को सरकार केवल आश्वासन दे रही थी, उन्हें अब अविलंब नियुक्ति पत्र दिया जाए।
दूसरी तरफ भाजपा गुरुवार को विधानसभा मार्च भी कर रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सही अर्थों में जो वादे किए गए, उसमें से एक भी पूरे नहीं हुए हैं। भाजपा के एक नेता की मानें तो भाजपा इन वादों को लेकर अब मुद्दा बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के युवाओं को सभी सरकारी बहाली परीक्षाओं के लिए आवेदन शुल्क मुक्त करने का भी वादा किया गया था। इसके अलावा मनरेगा के तहत प्रति परिवार के बजाय प्रति व्यक्ति को 100 से बढ़ाकर 200 दिन प्रतिवर्ष काम देने का वादा किया गया है।
मनरेगा की ही तर्ज पर राज्य की रोज़गार योजना बनाने का भी आश्वासन दिया गया था। महागठबंधन के घोषणा पत्र में स्मार्ट ग्राम योजना के तहत हर पंचायत में मान्यता प्राप्त डॉक्टर और प्रशिक्षित नर्स सहित एक क्लीनिक खोलने का भी वादा था। इसके अलावा कृषि भूमि लगान भी माफ़ करने की बात कही गई थी। लेकिन, अब वादा पूरा नहीं किया गया।