एम्स निर्माण पर फिर ग्रहण, केंद्र और राज्य सरकार भूमि को लेकर आमने-सामने
पटना: बिहार के दरभंगा में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) निर्माण को फिर से एकबार ग्रहण लगता दिख रहा है। निर्माण होने वाली भूमि को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार आमने -सामने दिख रही है। बताया जाता है कि बिहार सरकार ने दरभंगा के जिस शोभन क्षेत्र में एम्स निर्माण के लिए करीब 150 एकड़ भूमि दी है, उसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। इसके बाद भले दोनों पक्षों के बीच बयानबाजी प्रारंभ हो गई है, लेकिन लोगों को दरभंगा में एम्स निर्माण के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा है कि शोभन के पास एम्स निर्माण के लिए जो भूमि आवंटित की गई है वह पूरी तरह उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि फिलहाल जो वहां दो लेन का रास्ता है उसे चार लेन का किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह जगह पढ़ाई के लिए अच्छी हो जाएगी और बाहर से यहां आनेवालों को भी काफी सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि इससे शहर को भी फैलाव मिलेगा।
इधर, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि नीतीश कुमार के अहंकार और महागठबंधन सरकार में राजद-जदयू के बीच खींचतान के चलते उत्तर बिहार के लाखों लोग 2000 करोड़ रुपये से बनने वाले दरभंगा एम्स के रूप में केंद्र सरकार की बड़ी सौगात पाने से वंचित रह गए। मोदी ने कहा कि दरभंगा में एम्स बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं मिले, इसलिए पहले दो साल तक तो मुख्यमंत्री इस बात अड़े रहे कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) को ही अपग्रेड कर एम्स बना दिया जाए। बाद में बिहार सरकार दरभंगा एम्स के लिए डीएमसीएच परिसर में ही 150 एकड़ जमीन देने पर राजी हो गई। 82 एकड़ जमीन आवंटित भी कर दी गई थी।
इस बीच, लालू प्रसाद के नजदीकी भोला यादव ने अशोक पेपर मिल (हायाघाट) की जमीन पर एम्स बनने की घोषणा कर दी, तब इसके जवाब में जदयू के लोग शोभन में एम्स बनवाने के लिए सक्रिय हुए। मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के इशारे पर मधेपुरा के दिनेशचंद्र यादव सहित दो दर्जन जदयू सांसदों ने केंद्र सरकार को ज्ञापन देकर दरभंगा के बजाय सहरसा में एम्स बनवाने की मांग कर दी।
उन्होंने कहा कि बाद में जदयू के दबाव में बिहार सरकार ने शोभन में जो 151 भूमि आवंटित की, वह एम्स का भवन बनाने के लिए उपयुक्त नहीं पायी गई। उन्होंने कहा कि शोभन की 20-30 फीट गड्ढे और जल-जमाव वाली जमीन का निरीक्षण करने बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने इसे अस्वीकार कर दिया और कोई दूसरी भूमि आवंटित करने का आग्रह किया। उल्लेखनीय है कि बिहार की राजधानी पटना में पहले से एम्स है। दरभंगा में दूसरा एम्स बनना है।