नई दिल्ली: किसान आंदोलन समेत कई मुद्दों पर अपने बयानों से मोदी सरकार को असहज करने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक आगामी 30 सितंबर को पद से रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे आगे हालांकि चुनावी राजनीति का हिस्सा नहीं होंगे लेकिन आंदोलन से जुड़े रहेंगे। इसके अलावा उनकी भविष्य में किताब लिखने की भी इच्छा है। जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहते रिश्वत की पेशकश के आरोपों का सामना कर रहे सत्यपाल मलिक ने कहा कि पद जाते ही सीबीआई इस मामले में उनसे पूछताछ कर सकती है।
मेघालय के मौजूदा राज्यपाल सत्यपाल मलिक का पिछले साल 17 मार्च को दिया बयान काफी सुर्खियां बटोरा था। उस वक्त देश की राजधानी दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन पर मलिक ने केंद्र सरकार पर तंज कसा था और कहा था कि जब कुतिया भी मर जाती है तो नेता शोक मनाते हैं लेकिन यहां 250 किसान मर गए और किसी ने कुछ बोला तक नहीं। केंद्र की मोदी सरकार के आठ साल के कार्यकाल में सत्यपाल मलिक ऐसे राज्यपाल हैं, जिनका चार राज्यों में तबादला हो चुका है।
भास्कर डॉट कॉम से बातचीत में सत्यपाल मलिक ने कई सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि 30 सितंबर को हालांकि वो राज्यपाल पद से रिटायर हो रहे हैं लेकिन सक्रिय राजनीति में आने के बजाय वो आंदोलन से जुड़ना चाहेंगे। उन्होंने एक किताब लिखने की भी बात कही। मोदी कार्यकाल में चार राज्यों में तबादलों पर मलिक ने कहा कि वह अभी इस पर कुछ कहना नहीं चाहते, लेकिन रिटायरमेंट के बाद इस पर बोलेंगे।
किसान आंदोलन के दौरान सत्यपाल मलिक ने मोदी सरकार की आलोचना की थी। मलिक ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्होंने कुछ खिलाफ नहीं बोला। अगर मेरी बात समझ जाते तो आज किसान उनकी जय जयकार करते। हालांकि सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा था।
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक को रिश्वत की पेशकश की गई थी। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। एक सवाल के जवाब में मलिक ने कहा कि वो अभी इस पर कुछ नहीं कहेंगे। रिटायरमेंट के बाद वे सीबीआई को इस बारे में बताएंगे।