महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़ी बड़ी खबर

Update: 2024-11-29 09:53 GMT
मुंबई: महाराष्ट्र में नई सरकार में विभागों को लेकर पेच फंसता नजर आ रहा है। इसके चलते महायुति की अहम बैठक भी कैंसल हो गई है। इसके बाद एकनाथ शिंदे अपने गांव चले गए हैं। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही दिल्ली में महायुति के तीनों अहम नेताओं, देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की बैठक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के घर हुई। बताया जाता है कि इसमें देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने और अहम विभागों के बंटवारे को लेकर सबकुछ तय हो चुका है। अब इससे आगे की बैठक आज मुंबई में होने वाली थी। लेकिन उससे पहले ही कुछ अड़चन आती नजर आ रही है। अनुमान है कि शपथ ग्रहण दो दिसंबर को होगा।
एकनाथ शिंदे के बैठक छोड़कर अचानक जाने से अनुमान लगाया जा रहा है नई सरकार के गठन को लेकर वह कुछ नाराज हैं। सूत्रों के मतुाबिक शिंदे अपने सतारा स्थित गांव निकल गए हैं। अब शिंदे के वापस आने के बाद यह बैठक होगी। इससे पहले एकनाथ शिंदे ने प्रेस कांफ्रेंस करके खुद कहा था कि भाजपा जिस किसी को भी मुख्यमंत्री बनाए, उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस के लिए तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता खुल गया था।
अमित शाह से मुलाकात के बाद एकनाथ शिंदे ने इस बातचीत को अच्छा और सकारात्मक बताया था। उन्होंने कहाकि मुंबई में महायुति गठबंधन के बाद अगले मुख्यमंत्री के बारे में फैसला हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक अभी मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम की पोस्ट को लेकर बातें सबकुछ स्पष्ट है। लेकिन कुछ मंत्री पद को लेकर बातचीत अटकती नजर आ रही है। एनडीटीवी के मुताबिक एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला जारी रहने का अनुमान है। लेकिन नई सरकार में एकनाथ शिंदे खुद डिप्टी सीएम बनने के इच्छुक नहीं हैं। शिवसेना के विधायक और प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहाकि उनके डिप्टी सीएम बनने के चांसेज कम हैं। मुख्यमंत्री रहने के बाद डिप्टी सीएम बनना ठीक नहीं रहेगा।
बताया जाता है कि नई सरकार में भाजपा अपने पास गृह मंत्रालय रखेगी। इसके अलावा, अजित पवार की एनसीपी के पास वित्त और शिंदे की सेना के बाद शहरी विकास व पीडब्लूडी रहेगा। सरकार में भाजपा को 22 मंत्री, शिवसेना को 12 और एनसीपी को 9 मंत्रीपद मिलने का अनुमान है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने जोरदार जीत हासिल की है। 288 सीटों वाले विधानसभा में महायुति को 230 सीटें मिली हैं। इसमें भाजपा को अकेले 132 सीटें, शिवसेना को 57 और एनसीपी को 42 सीटें मिली हैं।
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