रूस ब्रेकिंग: दो टूक! भारत को तेल बेचने को लेकर कही ये बात

पुतिन सरकार ने कहा है कि वह पश्चिमी देशों के संभवित प्राइस कैप को लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं है.

Update: 2022-12-02 07:07 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक | फाइल फोटो

नई दिल्ली: पश्चिमी देशों की ओर से रूसी तेल पर प्राइस कैप लगाने की तैयारियों के बीच रूस ने भारत और चीन को तेल बेचने को लेकर बड़ा बयान दिया है. रूस ने कहा है कि वह संभवित प्राइस कैप को लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं है. रूस ने साफ करते हुए कहा कि वह सीधा भारत और चीन के साथ तेल की डील करेगा. रूस ने प्राइस कैप पर तंज कसते हुए कहा कि कीमत बेचने और खरीदने वालों को तय करनी चाहिए, ना कि उन्हें जो किसी को सजा देने के मन से इसे तय कर रहे हों.
दरअसल, यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिकी दबदबे वाले जी-7 ग्रुप और यूरोपीय यूनियन जल्द से जल्द रूसी तेल के दाम तय कर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को झटका देने की तैयारी कर रहे हैं. पश्चिमी देशों का मानना है कि ऐसा करने से रूस जो फंड यूक्रेन में युद्ध के लिए इस्तेमाल कर रहा है, उसमें कमी आएगी.
आगामी 5 दिसंबर तक पश्चिमी देश रूसी तेल पर प्राइस कैप का ऐलान कर सकते हैं. अभी तक चर्चा यह है कि रूसी तेल का दाम 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल फिक्स किया जा सकता है.
प्राइस कैप को लेकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मॉस्को इस प्राइस कैप को लेकर बिल्कुल भी परेशान नहीं है. विदेश मंत्री ने बयान में कहा कि, ''हम यह जानने में बिल्कुल भी इच्छुक नहीं हैं कि प्राइस कैप क्या होगा, हम अपने सहयोगियों से सीधी बात करेंगे. और जो सहयोगी हमारे साथ काम जारी रखना चाहते हैं, वे इस कैप पर ध्यान न दें और ना ही इस कैप को गैर-कानूनी ढंग से लाने वालों को कोई गांरटी दें.''
लावरोव ने कहा कि रूसी ऊर्जा के भारत, चीन समेत सभी बड़े ग्राहकों के साथ हमारी वार्ता में समय, मात्रा और कीमत को लेकर सभी के हितों के संतुलन का ध्यान रखा जाता है. उन्होंने आगे कहा कि ये चीजें ग्राहकों और खरीददारों को ही मिलकर तय करनी चाहिए, उन्हें नहीं जो किसी को सजा देने के लिए ऐसा कर रहे हों.
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने हाल ही में कहा था कि पश्चिमी देशों का यह प्राइस कैप 'एंटी मार्केट' यानी बाजार के नियमों के खिलाफ है, जिसका बुरा असर वैश्विक बाजार पर पड़ सकता है. प्रवक्ता ने कहा कि इसका खामियाजा भी सभी को भुगतना पड़ सकता है.
रूसी प्रवक्ता मारिया ने कहा कि यह पूरी तरह से बाजार के खिलाफ है जो सप्लाई चेन को तोड़ देगा और वैश्निक ऊर्जा बाजार की हालात को बिगाड़ देगा. वहीं हाल ही में रूस के डिप्टी पीएम अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा था कि रूस उन देशों को तेल नहीं बेचेगा, जो पश्चिमी देशों के प्राइस कैप का समर्थन करेंगे, चाहे उनसे सौदा रूस के लिए ज्यादा फायदा पहुंचाने वाला ही क्यों न हो.
फरवरी से यूक्रेन और रूस का युद्ध शुरू हुआ था, जो अभी तक लगातार जारी है. युद्ध की वजह से रूस अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देशों के निशाने पर है. पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हुए हैं और इसके साथ ही लगातार झटके देने की कोशिशें की जा रही हैं. हालांकि, भारत इस मामले में अभी तक किसी भी एक पक्ष में नहीं रहा है. जहां भारत ने यूक्रेन को मानवीय मदद भेजी तो वहीं रूस के खिलाफ अंतराष्ट्रीय मंच पर वोटिंग से परहेज भी किया.
शुरुआत से ही भारत तटस्थ भूमिका में है और वार्ता और कूटनीति के जरिए जंग थामने की अपील कर रहा है. युद्ध के बाद से ही भारत काफी मात्रा में रूस से तेल भी खरीद रहा है. वर्तमान में रूस भारत को तेल सप्लाई करने वाले टॉप 3 देशों में एक है. शुरुआत में अमेरिका ने इस बात पर भी नाराजगी भी जताई थी, लेकिन बाद में उसके तेवर भी नरम पड़ गए.
रूस ने लगातार भारत को तेल सप्लाई जारी रखी. अमेरिका ने जब आपत्ति जताई थी तो भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया था कि जहां भी भारतीयों का फायदा होगा, भारत वहीं डील करेगा.
फिलहाल अब सभी को इंतजार 5 दिसंबर का है, जिस दिन पश्चिमी देश प्राइस कैप का ऐलान कर सकते हैं. रॉयटर्स की एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो पश्चिमी देश 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल के बीच तेल के दाम फिक्स करने पर विचार कर रहे हैं. हालांकि, अभी यह आधिकारिक तय कीमत नहीं है.
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